
इस्लामाबाद, ३१ मई ।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा को नकदी बरामदगी मामले में दोषी ठहराने वाली सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने कहा है कि जिस स्टोर रूम में जली हुई नकदी मिली थी, वह जज और उनके परिवार के सक्रिय नियंत्रण में था। सूत्रों ने बताया कि समिति को कुछ ऐसे साक्ष्य मिले हैं जो संकेत करते हैं कि आग की घटना सामने आने के बाद स्टोर रूम से जली हुई नकदी को हटा दिया गया था।
गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा था और जस्टिस वर्मा के जवाब के साथ समिति की रिपोर्ट भी साझा की थी। सूत्रों का कहना है कि समिति ने इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों के साथ ही विभिन्न साक्ष्यों पर विचार किया और अपनी रिपोर्ट में राय व्यक्त की है कि जस्टिस वर्मा को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए आरोप काफी गंभीर हैं।समिति ने साक्ष्यों का विश्लेषण किया और दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा व दिल्ली अग्निशमन सेवा के प्रमुख समेत 50 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए। वे 14 मार्च को रात 11.35 बजे लुटियन दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के आवास पर आग लगने के बाद सबसे पहले पहुंचने वालों में शामिल थे। तब जस्टिस वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश थे। जस्टिस वर्मा ने अपने ऊपर आरोपों से इनकार किया है।