सुविधा का सवाल, इसलिए कबाड़ हो गई ट्रायसाइकिल

जनपद पंचायत कटघोरा में बना नमूना, योजना पर सवाल
कोरबा। शारीरिक अक्षमता से जूझ रहे लोगों को सहूलियत देने के इरादे से सरकार ने कई योजनाओं लांच की है। इनमें से कुछ काम की साबित हुई है, जबकि कई का बेड़ा गर्क हो गया है। जनपद पंचायत कटघोरा के एक परिसर में ऐसी अनेक ट्रायसाइकिल कबाड़ में बदल गई है। इससे योजना की उपयोगिता पर प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं, वहीं परिसर की तस्वीर बिगड़ रही है।
समाज कल्याण विभाग माध्यम से इस तरह की योजनााएं संचालित की जा रही है। वितरण की जिम्मेदारी ब्लॉक स्तर पर दी गई है। आवेदन लेने से लेकर परीक्षण और अगली प्रक्रियाओं के लिए नियम बने हुए हैं। महत्वाकांक्षी योजनाओं के मामले में प्रगति काफी अच्छी बताई जाती है लेकिन अन्य योजनाएं और उनके तहत प्राप्त संसाधनों की दुर्गति हो गई है। कटघोरा जनपद पंचायत के एक परिसर में नि:शक्तों की सुविधा के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई काफी ट्रायसाइकिल बिल्कुल कबाड़ बदल गई है। इनकी न तो पूछपरख हो रही है और न ही इन्हें यहां से हटाकर डिस्मेंटल करने की जरूरत समझी गई।
इसी के साथ अन्य जनपदों में भी सरकारी योजनाओं से प्राप्त ऐसे अनेक संसाधनों का कमोबेस यही हाल है। इससे पता चलता है कि जिन लोगों की अपेक्षाएं संसाधनों को लेकर पिछले वर्षों में रही, अब उनका दृष्टिकोण बदल गया है। इस चक्कर में योजना को बंद करने की जरूरत महसूस की जा रही है।
सरकारी धन बर्बाद हो रहा ऐसी योजनाओं में
सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों से बातचीत करने पर कई तरह की चीजें सामने आई। उनका कहना है कि सर्वहारा वर्ग को सुविधा देने और उसकी मुश्किलों को कम करने के लिए विभिन्न इलाके से मिलने वाले प्रस्ताव पर आगे प्रक्रियाएं बढ़ाई जाती है। योजनाएं बनाने के साथ इसके लिए क्राइटेरिया तय किया जाता है। स्वाभाविक है कि एक समय के बाद संदर्भ बदल जाते हैं और जरूरतें भी। फिर वह वर्ग ऐसी सुविधाएं प्राप्त करने के मूड में नहीं होता जो कुछ समय पहले इसका जरूरतमंद होता है। कहा जा रहा है कि समय के साथ लोग सुविधाभोगी बनते जा रहे हैं। उनकी अपेक्षाएं सरकार से लगातार बढ़ रही है। जानकारों ने बताया कि जिले के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के द्वारा जनप्रतिनिधियों पर दबाव बनाने से एक-एक गांव में पांच-पांच सार्वजनिक चबूतरे तैयार करा दिए गए। इनकी उपयोगिता लगभग शून्य है।
पांच वर्ष पहले का है कटघोरा का यह मामला
जनपद पंचायत में जो ट्रायसाइकिल मौजूद हैं, वे पांच वर्ष से भी पुरानी हैं। तत्कालीन आवश्यकता के लिए ये उपलब्ध कराई गई थी, जिन्हें संबंधितों ने लिया नहीं। अब मोटराइज्ड ट्रायसाइकिल की मांग संबंधित हितग्राही कर रहे हैं। इसके आवेदन से लेकर वितरण की प्रक्रिया जिले से है।
यशपाल सिंह, सीईओ, जपं कटघोरा

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