नईदिल्ली, 0४ जून।
केंद्र सरकार ने वायु और जल प्रदूषण के साथ ही कचरा प्रबंधन की गंभीर चुनौतियों से जूझ रहे शहरों में पर्यावरण इंजीनियरों और जल संसाधनों के प्रबंधन के लिए भूगर्भ जलशास्त्रियों की नियुक्ति का प्रस्ताव राज्यों को दिया है। यह कवायद पहली बार की जा रही है और केंद्र सरकार ने यह शर्त भी लगाई है कि प्रतिनियुक्ति के आधार पर इन पदों को भरने का कामचलाऊ रवैया नहीं अपनाया जाएगा।प्रस्ताव दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में ऐसे तीन अफसरों-इंजीनियरों की नियुक्ति का है। पर्यावऱण इंजीनियरों और भूगर्भ जलशास्त्रियों (हाइड्रोलाजिस्टों) के पदों को मंजूरी देते हुए केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को मानक के अनुरूप 50 प्रतिशत नियुक्तियां करने के लिए कहा है, जिसके बाद उन्हें इस योजना के तहत सहायता राशि मिलेगी। बड़े राज्यों को 75 करोड़ रुपये तक इसी साल दिए जाएंगे।इस वित्तीय वर्ष में राज्यों को केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता के तहत यह राशि शहरी सुधार के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए है। सरकार ने माना है कि शहरों में पर्यावरण इंजीनियरों और भूगर्भ जलशास्त्रियों के पद या तो हैं ही नहीं, या फिर खाली पड़े हुए हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए एनवायरनमेंटल इंजीनियरों की जरूरत है, जिससे जन स्वास्थ्य की स्थिति सुधारी जा सके और विकास के कामों में पर्यावरण अनुकूल तौर-तरीकों को बढ़ावा दिया जा सके।भूगर्भ जलशास्त्री की नियुक्ति का प्रस्ताव इसलिए अहम है, क्योंकि अधिकांश शहर जल प्रबंधन के मामले में लचर साबित हो रहे हैं। शहरों में न तो जल स्त्रोतों का सही तरह प्रबंधन हो रहा है और न ही जल स्तर की निगरानी का कोई उपयुक्त ढांचा है।
जल प्रबंधन के प्रति कामचलाऊ रवैये के कारण ही लगभग सभी शहर बारिश के समय हैरान कर देने वाले जलभराव का शिकार हो जाते हैं। सरकार ने एक लाख से दस लाख तक की आबादी वाले सभी शहरों में इनके दो पद सृजित करने के लिए कहा है। इसी तरह एक लाख से कम आबादी वाले नगरों और शहरी स्थानीय निकायों के क्लस्टर बनाकर ये पद सृजित करने के लिए कहा गया है।