मंडी 03 जुलाई। हिमाचल में कुदरत का कहर टूटा है। बादल फटने की घटनाओं से हुई तबाही की तस्वीरें धीरे-धीरे सामने आ रही हैं। मंडी के धर्मपुर में स्याठी गांव जल सैलाब में बह गया। 61 ग्रामीण बमुश्किल बचाए गए। बादल फटने के बाद से लापता लोगों में से तीन और के शव मिले हैं। अभी 34 और लोगों की तलाश है। ज्यादातर सराज क्षेत्र के हैं। आपदा प्रभावित कई गांवों तक प्रशासन पहुंच नहीं सका है। करसोग, थुनाग और गोहर में लापता हुए लोगों का अभी कोई सुराग नहीं मिला है। बादल फटने व भूस्खलन से थुनाग और जंजैहली उपमंडल में सडक़ें ध्वस्त हो गई हैं। बुधवार को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सुक्खू ने मंडी जिले के प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने के बाद रेस्क्यू और आपदा राहत के लिए वायुसेना की मदद मांगी है। कई क्षेत्रों में एनडीआरएफ-एसडीआरएफ और प्रशासन की टीमें राहत एवं बचाव कार्यों में लगी हैं। दो शव कांगड़ा कांगड़ा और एक हमीरपुर में मिला है। जोगिंद्रनगर और देहरा में मिले शवों के भी बाढ़ पीडि़त होने की शिनाख्त हुई है। सोमवार रात को बादल फटने और भारी बारिश-भूस्खलन से प्रदेश में 245 सडक़ें अभी भी अवरुद्ध हैं। मंडी जिले के कई इलाके कट गए हैं। मंडी में 16 लोगों समेत प्रदेश में 18 लोगों की मौत हुई है। एनडीआरएफ अभी तक थुनाग बाजार तक पैदल पहुंची है। जिला प्रशासन थुनाग के आगे पखरैर तक नहीं पहुंच पाया है। पखरैर से करीब एक दर्जन से अधिक लोग लापता चल रहे हैं।इसके अलावा जरोल में भी जिला प्रशासन की पहुंच नहीं बन पाई है। जंजैहली में भी यही हालात हैं। जंजैहली में पुलिस तो है, लेकिन जिला प्रशासन नहीं पहुंचा है। बल्ह पुलिस थाना से भी अतिरिक्त टीमें जंजैहली की तरफ रवाना की गई हैं। स्थानीय थुनाग प्रशासन अपने स्तर पर मोर्चा संभाले हुए हैं, लेकिन भीषण आपदा के आगे सब बेबस नजर आ रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार ही मंडी में 148 घर, 104 गोशालाएं, 14 पुल ध्वस्त हो गए हैं। 31 गाडिय़ां क्षतिग्रस्त हो गई हैं। प्रदेश में 918 बिजली ट्रांसफार्मर व 683 पेयजल योजनाएं ठप होने से कई इलाकों में बिजली पानी का संकट हो गया है। कुल 370 लोगों को रेस्क्यू किया गया है। कुल्लू की बंजार घाटी में फंसे करीब 250 सैलानी सुरिक्षत निकाल लिए गए हैं।मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बुधवार को धर्मपुर की लौंगणी पंचायत के आपदा प्रभावित स्याठी गांव का दौरा किया। उन्होंने बादल फटने से प्रभावित परिवारों से मुलाकात कर उनका दुख साझा किया। प्रभावित परिवारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षतिग्रस्त घरों के पुनर्निर्माण के लिए विशेष राहत पैकेज दिया जाएगा। साथ ही गाय, बकरी, भेड़ सहित पशुधन के नुकसान के साथ नष्ट गोशालाओं के लिए भी बढ़ा हुआ मुआवजा प्रदान किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने मंडी-कोटली सडक़ को हुए नुकसान का भी निरीक्षण किया। सीएम ने कहा कि चट्टानी सतह के खिसकने के कारणों का पता लगाने के लिए अध्ययन किया जाएगा।
प्रदेश में बादल फटने की घटनाओं के पीछे जलवायु परिवर्तन भी एक कारण हो सकता है। केंद्र-राज्य सरकारों को सामूहिक रूप से ऐसी घटनाओं के कारणों का अध्ययन करना चाहिए। लापता की तलाश करने के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ समेत प्रशासन और ग्रामीण दिन-रात जुटे हुए हैं। सराज विस क्षेत्र में तीसरे दिन भी बिजली-पानी और दूरसंचार सेवाएं ठप हैं। इससे रेस्क्यू व सर्च आपरेशन में भी बाधा हो रही है। स्यांज व करसोग के साथ सराज घाटी में सर्च ऑपरेशन जारी है। स्यांज से बहे दो शव की शिनाख्त के बाद बुधवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बुधवार को जिला मंडी के आपदा प्रभावित थुनाग और जंजैहली क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया और प्रभावित लोगों को स्वयं राहत सामग्री वितरित की।
मुख्यमंत्री सेना के हेलिकाप्टर से सरकाघाट से थुनाग के रैन गलू हेलीपैड पहुंचे। उन्होंने प्रशासन को तुरंत हवाई मार्ग से राहत सामग्री पहुंचाने के निर्देश दिए। थुनाग-जंजैहली में हाल ही में बादल फटने की घटनाओं के कारण सडक़ मार्ग पूरी तरह बाधित हो गया है। इस स्थिति को देखते हुए हवाई मार्ग से राहत सामग्री पहुंचाने की कार्रवाई प्रारंभ की गई है। जिला प्रशासन द्वारा तैयार की गई 1000 राहत किटों में आटा, चावल, दाल, तेल, नमक तथा अन्य आवश्यक वस्तुएं शामिल हैं। कुल 172 राहत किट वितरित की गईं, जिनमें से 90 किटें रैन गलू हैलीपैड पर, 82 किटें जंजैहली क्षेत्र में पहुंचाई गईं।
थुनाग से दो गर्भवती महिलाओं को भी हेलिकाप्टर से रेस्क्यू किया है।
थुनाग में संचार व्यवस्था बहाल करने के लिए एक वी-सैट संचार पोर्टल को भेजा है।