उदयपुर। पूर्व मेवाड़ राजपरिवार के सदस्य डॉ लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का गद्दी उत्सव परंपरानुसार 2 अप्रैल को होगा। उनके पिता अरविंद सिंह मेवाड़ के गत दिनों निधन के बाद यह रस्म पूरी कराई जा रही है। यह परंपरा करीब 450 सालों से चली आ रही है।

सुबह 9.30 बजे से 1 बजे तक होगा कार्यक्रम

सोमवार देर रात इस संबंध में जारी रस्म कार्यक्रम के अनुसार श्री एकलिंग दीवान डॉ लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का गद्दी उत्सव कार्यक्रम दो अप्रैल को राजमहल परिसर में सुबह 9.30 बजे से अपराह्न 1.30 बजे तक होगा। यह पवित्र और ऐतिहासिक समारोह मेवाड़ के कुल गुरु द्वारा किया जाएगा, जिनका परिवार 350 वर्षों से इस प्रतिष्ठित अनुष्ठान का आयोजन करता आ रहा है, जिससे इसे गहरी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक प्रामाणिकता प्राप्त हुई है।
इस आयोजन में पुरुषों के लिए सफेद कुर्ता-पायजामा व महिलाओं के लिए सफेद सूट या पारंपरिक सफेद पोशाक ड्रेस कोड रखा गया है। राजस्थान सहित देशभर के राजघरानों के सदस्य, राजनीतिक हस्तियां, कारोबारी, सेलिब्रिटीज और कई बड़े खिलाड़ी शिरकत करेंगे।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण गद्दी उत्सव और शाही अनुष्ठान होंगे, जिनमें पारंपरिक राजसी वेशभूषा, शाही घोड़े और सजे-धजे हाथियों का अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा। गद्दी उत्सव रस्म के बाद अपराह्न 3.15 बजे नोपत्ति (अश्व) पूजन किया जाएगा।
सायं 4.20 बजे डॉ लक्ष्यराज सिंह कैलाशपुरी स्थित श्री परमेश्वराजी महाराज श्री एकलिंग नाथ जी के दर्शन करेंगे तथा यहां से लौटकर सायं 7 बजे हाथीपोल स्थित हाथी पोल द्वार पर पूजन करेंगे।
यहां से वे राजमहल पहुंचेंगे जहां रात्रि 8.15 भाईपा और सरदारों का रंग पलटाई दस्तूर किया जाएगा। इसके बाद वे रात्रि 9 बजे वे भाईपा और सरदारों के साथ जगदीश मंदिर पहुंच ठाकुरजी के दर्शन करेंगे।
मेवाड़ की ऐतिहासिक परंपराओं में एकलिंग दीवान की उपाधि का विशेष महत्व है। यह परंपरा बप्पा रावल के समय से चली आ रही है, जिसमें मेवाड़ के राजा को नहीं, बल्कि भगवान शिव के स्वरूप श्री एकलिंग नाथ जी को ही शासक माना जाता है।

मेवाड़ में गद्दी उत्सव धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक

पूर्व महाराणा स्वयं को राज्य का दीवान मानते हुए शासन करते थे। मेवाड़ में गद्दी उत्सव केवल एक शाही आयोजन नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।