
कोरबा । नगर और उपनगर क्षेत्र में कार्तिक शुक्ल एकादशी के अवसर पर श्रद्धा और उत्साह के साथ देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया गया। इस अवसर पर शहर के विभिन्न मंदिरों और घरों में विशेष पूजा-अर्चना की गई।
प्रबोडरी एकादशी पर सभी हिंदू घरों में तुलसी चौरा को विशेष रूप से सजाया गया था। यहां भव्य मंडप बनाकर तुलसी माता की प्रतिमा का श्रृंगार किया गया और तुलसी-विवाह की पारंपरिक रस्म पूरी की गई। श्रद्धालुओं ने तुलसी और शालिग्राम के विवाह की परंपरा निभाते हुए विधि-विधान से पूजा की। महिलाओं ने पूरे उत्साह के साथ व्रत रखकर प्रबोधिनी एकादशी कथा का श्रवण किया और धर्म की शिक्षा को जीवन में अपनाने का संकल्प लिया।
पूजा के बाद शाम होते ही शहर का माहौल उत्सव में बदल गया। देवउठनी एकादशी पर कोरबा और आसपास के क्षेत्रों में जमकर आतिशबाजी की गई। विवाह की खुशी में लोगों ने दीप जलाए और घरों को सजाया। रात भर आसमान रंग-बिरंगी रोशनी से नहाता रहा।
ज्योतिष अचार्य पंडित दशरथ नंदन द्विवेदी ने बताया कि देवउठनी एकादशी के साथ ही चार माह से चल रहा चातुर्मास समाप्त हो गया है। इसके साथ ही मांगलिक कार्यों पर लगा धार्मिक प्रतिबंध हट गया है। अब विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन, नामकरण जैसे शुभ कार्यों की शुरुआत पुन: हो सकेगी।
आचार्य द्विवेदी ने कहा कि देवउठनी एकादशी भगवान विष्णु के शयन से जागने का पर्व है। इसी दिन से संसार में पुन: शुभता और मंगल कार्यों की शुरुआत मानी जाती है।कोरबा शहर के विभिन्न मंदिरों—राम मंदिर, हनुमान मंदिर, और लक्ष्मीनारायण मंदिर—में भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने पूजा-पाठ के साथ भजन-कीर्तन और दीपदान किया।





















