
कोरिया। अंबिकापुर एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना, जब जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर आयोजित भव्य राज्य स्तरीय समारोह में भारत की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुईं। कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति न केवल छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता का प्रतीक बनी, बल्कि राज्य के जनजातीय विकास के संकल्प को भी नई ऊर्जा प्रदान करती दिखाई दी।
महामहिम राष्ट्रपति महोदया का यह दौरा अपने आप में अत्यंत महत्वपूर्ण रहा। पूरे कार्यक्रम के दौरान उनके चेहरे पर जनजातीय समाज के प्रति गहरा स्नेह, आत्मीयता और समझदारी स्पष्ट रूप से नजर आई। उन्होंने नक्सल प्रभावित परिवारों से सीधे संवाद कर उनकी पीड़ा और चुनौतियों को सुना, साथ ही उन्हें हरसंभव सहायता और सहयोग का भरोसा भी दिलाया। यह संवाद न केवल प्रभावित परिवारों के लिए विश्वास का संचार करने वाला था, बल्कि शासन की संवेदनशीलता को भी दर्शाता है। कार्यक्रम में आदिवासी नायकों के परिजनों का सम्मान समारोह विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। राष्ट्रपति महोदया ने जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के अमर योगदान को याद करते हुए कहा कि यह समाज सदैव से साहस, बलिदान, संस्कृति और परंपराओं की धरोहर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समाज के योगदान को इतिहास में वह स्थान मिलना चाहिए जिसके वे वास्तविक हकदार हैं। उनके भावपूर्ण और प्रेरणादायी संबोधन ने पूरे कार्यक्रम में एक नई ऊर्जा का संचार किया।
छत्तीसगढ़ की जनजातीय संस्कृति, कला, रीति-रिवाज और प्रकृति आधारित जीवनशैली पर राष्ट्रपति महोदया ने विशेष जोर देते हुए कहा कि यह समाज भारत की विविधता की आधारशिला है। उन्होंने राज्य सरकार के उन प्रयासों की सराहना की, जिनके माध्यम से वन-आधारित आजीविका, कारीगरी, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा महिलाओं और युवाओं के सशक्तिकरण की दिशा में उल्लेखनीय कार्य हो रहे हैं। बस्तर क्षेत्र को नक्सल हिंसा से मुक्त कराने और विकास की मुख्यधारा में जोडऩे के लिए किए जा रहे प्रयासों को भी उन्होंने प्रशंसनीय बताया। इस अवसर पर केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री दुर्गा दास उइके , राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय , सांसद चिंतामणि महाराज, मंत्रिपरिषद के सदस्य, विधायकगण, भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी, कार्यकर्ता एवं बड़ी संख्या में उपस्थित देवतुल्य जनता ने कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। मंच से मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जनजातीय समाज के उत्थान, शिक्षा सुधार, वनाधिकार, स्वरोजगार और नक्सल मुक्त छत्तीसगढ़ के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराया। जनजातीय गौरव दिवस का यह राज्य स्तरीय समारोह न केवल सांस्कृतिक विविधता का उत्सव था, बल्कि यह संदेश भी देता है कि जनजातीय समाज के सम्मान और विकास के लिए सरकार और संवैधानिक पदों पर बैठे शीर्ष नेतृत्व दोनों समान रूप से संकल्पित हैं। महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु जी का यह आगमन छत्तीसगढ़ के जनजातीय सशक्तिकरण के इतिहास में एक स्वर्णिम और अविस्मरणीय अध्याय के रूप में सदैव स्मरणीय रहेगा।























