नईदिल्ली, 0९ अगस्त ।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक तरफ रूस, चीन और भारत पर एकतरफा दबाव बनाने में जुटे हैं; वहीं इन तीनों देशों के बीच कूटनीतिक संपर्क बढऩे के साफ संकेत है। पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बात हुई। इसके कुछ ही देर बाद पुतिन ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से बात की। प्रधानमंत्री मोदी की आगामी चीन यात्रा को लेकर वहां की सरकार ने खुशी का इजहार करते हुए कहा कि चीन मोदी के स्वागत को तैयार है। उनकी प्रस्तावित यात्रा को उसने मित्रता का समागम बताया। इस तरह से देखा जाए तो ट्रंप ने ब्रिक्स संगठन के जिन चार संस्थापक देशों (भारत, चीन, रूस और ब्राजील) को निशाना बनाया है, उनके शीर्ष नेताओं के बीच पिछले 24 घंटे में संवाद हो चुका है। जाहिर है कि ये संवाद कूटनीतिक तौर पर अमेरिका के बरक्स अपने राष्ट्रीय हितों को मजबूती देने से जुड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इंटरनेट मीडिया पर जानकारी दी, मेरे मित्र राष्ट्रपति पुतिन से बहुत अच्छी और विस्तार में बातचीत हुई। यूक्रेन पर ताजी जानकारी देने के लिए मैंने उनका धन्यवाद किया। हमने द्विपक्षीय संबंधों के एजेंडे की समीक्षा की और भारत-रूस विशेष रणनीतिक साझेदारी को और ज्यादा गहरा बनाने पर अपनी प्रतिबद्धता दिखाई। राष्ट्रपति पुतिन इस वर्ष के अंत तक भारत आएंगे, मैं उनका इंतजार कर रहा हूं।
एक दिन पहले ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मॉस्को में पुतिन से मुलाकात की थी।विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी अगले कुछ दिनों के भीतर रूस और चीन की यात्रा करने वाले हैं। सनद रहे कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले हफ्तेभर में 70 देशों के आयात पर पारस्परिक शुल्क लगाने का ऐलान किया है। इसमें सबसे ज्यादा शुल्क उन्होंने अमेरिका के सबसे बड़े रणनीतिक साझेदार देश भारत पर लगाया है। भारत पर पहले 25 प्रतिशत और उसके बाद 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगाने का एलान किया गया है। अतिरिक्त शुल्क रूस से तेल खरीदने का आरोप लगाते हुए लगाया गया है। भारत ने इसका कड़ा विरोध किया है और राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले को असंगत व अन्यायपूर्ण करार दिया है। भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों के लिए हरसंभव कदम उठाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने भी गुरुवार को कहा कि देश किसानों व मछुआरों के मुद्दे पर नहीं झुकेगा, भले ही इसका उन्हें व्यक्तिगत नुकसान हो। कई विशेषज्ञों ने कहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और अमेरिका के संबंधों को सुधारने को लेकर पिछले 20 वर्षों की कोशिशों पर पानी फेर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी की एक दिन पहले ही ब्राजील के राष्ट्रपति लुला दा सिल्वा से भी बात हुई थी। ब्राजील भी अमेरिका के निशाने पर है।