
जांजगीर-चांपा। समुदाय में कुष्ठ रोग के संक्रमण को रोकने प्रत्येक रोगी की प्रारंभिक अवस्था में पहचान कर इलाज किए जाने और रोक प्रसार में नियंत्रण कुष्ठ संबंधी विकलांगता से बचाव विषय को लेकर स्थानीय होटल में दो दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न हुआ। 26 एवं 27 नवम्बर को राज्य स्तर से नामित मास्टर ट्रेनर टीएलएम चाम्पा एवं जिला कुष्ठ अधिकारी व टीम द्वारा 151 आरएचओ एवं सीएचओ को प्रशिक्षित किया गया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. यूके मरकाम ने बताया कि कुष्ठ रोग शरीर में धीमी गति से बढ़ता है और इसके स्पष्ट लक्षण दिखाई देने में कुछ सप्ताह से 20 वर्षों का समय लग सकता है। कुष्ठ का लक्षण पता चलते ही चिकित्सा अधिकारी से पुष्टि कराकर नए कुष्ठ रोगियों का रिकार्ड संधारण कर एमडीटी उपचार से समय पर लाभान्वित करने के निर्देश दिए। कुष्ठ खोज अभियान एलसीडीसी को ध्यान में रखते हुए कुष्ठ संकास्पद की पहचान एवं कार्यक्रम संबंधी अन्य आवश्यक गतिविधियों के संबंध में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ. यशपाल खन्ना ने बताया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के निर्देशानुसार पीबी मामलों के लिए एनएलईपी के तहत मौजूदा दो-दवा व्यवस्था की जगह एक नई तीन दवा व्यवस्था शुरूवात की गई है। संशोधित उपचार व्यवस्था का उद्देश्य उपचार के प्रभावकारिता को बढ़ाना एवं संक्रमण को रोकना हैं। बीएलहोम चाम्मा की अधीक्षक डॉ. रूबी मार्सेला ने प्रोजेक्टर के माध्यम से कुष्ठ रोग की पहचान, जांच-उपचार वर्गीकरण, डीपीएमआर, पीईपी के विस्तृत जानकारी दी। डॉ. रश्मि नायक ने कुष्ठ रोगियो का पहचान, जांच उपचार, एमडीटी की पूर्ण खुराक, रिएक्शन, न्यूराईटिश, विकृति से बचाव, आरसीएस ऑपरेशन के संबंध में जानकारी दी। एनएमए केके थवाईत, ने बताया कि ब्लॉक अकलतरा 30, बम्हनीडीह 29, पामगढ़ 26, बलौदा 29 एवं नवागढ़ 37-151 आरएचओ एवं सीएचओ को कुष्ठ उन्मलून अंतर्गत एलसीडीसी कुष्ठ खोज अभियान को ध्यान में रखते हुए कुष्ठ संदेहास्पद की पहचान एवं कार्यक्रम संबंधी अन्य आवश्यक गतिविधियों के संबंध में प्रशिक्षित किया गया।


























