
कोरबा। अपराध नियंत्रण से लेकर औद्योगिक शांति बनाए रखने तक, कोरबा पुलिस का दायरा अन्य जिलों की तुलना में अधिक जटिल माना जाता है। सामान्य जिलों में पुलिस मुख्य रूप से चोरी, मारपीट, छेड़छाड़, लूट, धोखाधड़ी जैसी पारंपरिक आपराधिक घटनाओं से निपटती है, लेकिन औद्योगिक जिला कोरबा में इनसे कहीं अधिक कठिन हालात पुलिस के सामने खड़े रहते हैं।
कोरबा जिले में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की विभिन्न कोयला खदानें, भारत एल्युमिनियम कंपनी (बाल्को), छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी, अदानी पावर सहित कई बड़े उद्योग संचालित हैं। भारी उद्योगों की मौजूदगी के कारण यहाँ औद्योगिक विवाद, विस्थापन, रोजगार, सुरक्षा मानक, वेतनमान, तथा परियोजना-प्रभावित ग्रामीण इलाकों में बुनियादी सुविधाओं की माँग जैसे मुद्दे अक्सर उभरते रहते हैं। उद्योगों में ठेका प्रथा, मजदूरों के अधिकार और सामाजिक दायित्वों से संबंधित किसी भी असहमति पर कर्मचारी संगठनों द्वारा प्रदर्शन, धरना, चक्काजाम और प्रबंधन से टकराव की स्थिति बन जाती है। ऐसे मामलों में पुलिस को न केवल $कानून-व्यवस्था बनाए रखनी होती है, बल्कि भीड़ मनोविज्ञान को समझते हुए तनाव बढ़ाए बिना समाधान तलाशना पड़ता है। कई बार प्रदर्शन के दौरान हालात उग्र हो जाने पर उत्पादन और परिवहन ठप हो जाते हैं, जिससे कंपनी प्रबंधन पुलिस पर जल्द कार्रवाई का दबाव बनाता है, वहीं दूसरी तरफ प्रभावित लोगों की भावनाएँ भी पुलिस को संतुलन में रखनी होती हैं। दिन भर धरना-प्रदर्शन और औद्योगिक विवादों को संभालने के बाद भी पुलिस के लिए पारंपरिक अपराधों की जाँच में ढिलाई की गुंजाइश नहीं रहती। ग्रामीण और शहरी इलाकों में दर्ज होने वाले झगड़े, चोरी, संपत्ति विवाद, सडक़ हादसों के मामलों की जाँच में भी पुलिस को समान गंभीरता से जुटना होता है।
ऊर्जा राजधानी के स्वरूप की बड़ी जिम्मेदारी
कोरबा, राज्य और देश की ऊर्जा जरूरतों का अहम केंद्र है। बड़े उद्योगों के सतत संचालन के लिए शांति और सुरक्षा प्राथमिक आवश्यकता है। यही कारण है कि जिले की पुलिस पर औद्योगिक सुरक्षा से जुड़ी विशेष जिम्मेदारियाँ भी रहती है।संवेदनशील क्षेत्रों में रात-दिन निगरानी के साथ मजदूर आंदोलनों पर खुफिया नजर बनाए रखनी होती है।


















