जांजगीर। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे पैदल यात्रियों के लिए सुरक्षित और उपयुक्त फुटपाथ सुनिश्चित करें। कोर्ट ने कहा कि फुटपाथ पर चलना पैदल यात्रियों का संवैधानिक अधिकार है। फुटपाथ नहीं होने से लोग सडक़ों पर चलने को मजबूर होते हैं, जिससे हादसों और जान का खतरा बढ़ता है।
इस संबंध में नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने 25 मई को सभी नगरीय निकायों को पत्र जारी किया है। इसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा 14 मई 2025 को पारित आदेश की प्रति संलग्न है। आदेश में कहा गया है कि सभी राज्य सरकारें अपने-अपने शहरों में फुटपाथ बनवाएं। इन फुटपाथों पर दिव्यांगजन भी आसानी से चल सकें, इसका विशेष ध्यान रखा जाए।
यह कार्य नियमानुसार और समयबद्ध तरीके से किया जाए। नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्रों में गिनती के कुछ ही स्थानों पर फुटपाथ बने हैं। जहां फुटपाथ बने हैं, वहां लोगों ने कब्जा कर लिया है, जिससे आम लोगों को चलने में परेशानी होती है। मुख्य सडक़ों और बाजारों में फुटपाथ नहीं होने से लोग सडक़ पर पैदल चलते हैं, जिससे हादसे का खतरा बना रहता है और ट्रैफिक व्यवस्था भी बिगड़ जाती है।दो महीने के भीतर गाइडलाइंस बने कोर्ट ने केंद्र सरकार को दो महीने के भीतर पैदल यात्रियों के अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी गाइडलाइंस रिकॉर्ड पर लाने का निर्देश दिया है। कहा गया है कि पैदल यात्रियों की सुरक्षा बेहद अहम है और फुटपाथों का निर्माण एवं रखरखाव इस प्रकार किया जाना चाहिए कि वे दिव्यांग व्यक्तियों के लिए भी सुलभ हों। कोर्ट ने सरकार को राष्ट्रीय सडक़ सुरक्षा बोर्ड के गठन के संबंध में छह महीने का समय दिया है और स्पष्ट किया है कि और समय नहीं दिया जाएगा।