सुर, लय और ताल के साथ गाया वन्दे मातरम

कोरबा। भारतीयता और राष्ट्रभक्ति की भावना को मजबूती देने के इरादे से वंदे मातरम की जो रचना 150 वर्ष पहले बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने की थी उसे कोरबा में सुर, लय और ताल के साथ खास अंदाज में प्रस्तुत कर बंग समाज के सदस्यों ने दर्शकों से प्रशंसा प्राप्त की। कोरबा बंग समाज के समस्त लोगों ने डीडीएम रोड हॉल में संध्या 7 बजे एक कार्यक्रम में इस रचना को खूबसूरत अंदाज में प्रेजेंट किया। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित हमारे गौरवशाली राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में सामूहिक गायन समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की प्रस्तुति देने के लिए कोरबा बंग समाज के सदस्यों द्वारा कई दिनों से वाद्य यंत्रों के साथ सुर से सुर मिलाकर अभ्यास जारी रखा। इसका फाइनल कार्यक्रम कोरबा बंग समाज ने किया। द राष्ट्रगीत को सम्मान देते हुए प्रसिद्ध तबला वादक एवं प्राध्यापक डॉ कुणाल दासगुप्ता एवं हारमोनियम में हैप्पी पाल ने संगत की। अतिन मंडल, अमित बैनर्जी, राजा मुखर्जी, उदय चैटर्जी, समित हालदार, प्रवीर कुमार दत्ता, मोनिका घोष, तुलसी मोइरा, रोमा मंडल द्वारा सुमधुर वंदे मातरम को सांगीतिक स्वरांजली दी गई। इस कार्यक्रम में कोरबा बंग समाज के सदस्यगण परिवार सहित उपस्थित रहें।

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