कोरिया/बैकुंठपुर। कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर के समीप स्थित ग्राम पंचायत सलका, सलवा के समीप शासन प्रशासन के द्वारा जनहितकारी योजनाओं का क्रियान्वयन करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। बावजूद इसके योजनाएं धरी की धरी रह जाती हैं। जानकारी के अनुसार कोरिया जिले के पूर्व कलेक्टर अमीर अली के द्वारा लगभग 50 एकड़ राजस्व की जमीन में वृक्षारोपण करवाया गया। इस वृक्षारोपण से आम आदमी को कोई फायदा नजर नहीं आ रहा है ऊपर से भालू का डेरा बनकर रह गया है। इसी प्रकार पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के द्वारा जिला स्तरीय स्टेडियम का निर्माण लगभग 5 करोड़ की लागत से कराई गई लेकिन स्टेडियम खंडहर में तब्दील होता नजर आ रहा है। इस स्टेडियम से कोई फायदा तो नजर नहीं आ रहा है। इस स्टेडियम में ग्रामीणों के द्वारा पशु बांधने का काम कर रहे हैं। इसी प्रकार ग्राम पंचायत सलका सलवा के बीचो बीच लगभग 200 – 250 हेक्टेयर राजस्व की जमीन जिसमें विशुद्ध रूप से साल के पेड़ लगे हुए हैं। लेकिन ग्रामीणों के द्वारा कटाई कर देने से ठूठ में तब्दील हो जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार यह भूमि राजस्व की है इसलिए वन विभाग इसमें कोई ध्यान नहीं दे रहा है। यह प्राकृतिक साल की जंगल भूमि आज संकट के दौर से गुजर रही है। यह पूरा क्षेत्र राजस्व विभाग के अधीन है। और वर्षों से यहां प्राकृतिक रूप से साल वृक्षों का विस्तार हुआ है। यह वन क्षेत्र न केवल पर्यावरण की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, बल्कि ग्रामीणों के लिए जलवायु संतुलन और पारिस्थितिकी तंत्र का भी आधार है।
स्थानीय लोगों एवं पर्यावरण प्रेमियों की चिंता का मुख्य कारण यह है कि इस जंगल की सुरक्षा और देखरेख का कोई स्थायी प्रबंध नहीं है। राजस्व भूमि होने के कारण वन विभाग की सीधी निगरानी से यह क्षेत्र बाहर है, जिसके कारण यहां पर अतिक्रमण और अवैध कटाई की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। ग्रामीणों द्वारा जलाऊ लकड़ी एवं निजी उपयोग हेतु पेड़ों की कटाई खुलेआम की जा रही है, जिससे धीरे-धीरे जंगल की हरियाली समाप्त हो रही है।
जानकारों का कहना है कि साल वृक्ष का प्राकृतिक रूप से उगना इस क्षेत्र की जैव विविधता के लिए अनमोल धरोहर है। साल के जंगल वर्षा जल संचयन में सहायक होते हैं और मिट्टी के कटाव को भी रोकते हैं। इसके अलावा, यह वन्य जीवों का भी प्राकृतिक आवास है। यदि इस क्षेत्र को संरक्षित नहीं किया गया तो आने वाले वर्षों में यह पूरी हरित संपदा समाप्त हो सकती है।
स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ता अनिरुद्ध सिंह चौहान, शिक्षक रंजीत सिंह, राम प्रताप सिंह चिकनजूरी, कुंदन विश्वकर्मा, सुशील सिंह, विवेक सिंह, एवं जागरूक ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि वन विभाग और राजस्व विभाग मिलकर संयुक्त प्रयास करें। सबसे पहले इस क्षेत्र की सीमांकन कर इसे संरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया जाए ताकि इसकी सुरक्षा का जिम्मा वन विभाग को सौंपा जा सके। इसके साथ ही, क्षेत्र में वन रक्षक तैनात कर अवैध कटाई पर रोक लगाई जा सके।