
जिले की हर सडक़ का एक जैसा हाल
कोरबा। जिले की एक-दो सडक़ को छोड़ दें तो बाकी सडक़ों पर चलने के दौरान लोगों के मन में यही बात बार-बार आती है कि कहीं धोखा न हो जाए। वे कहीं दुर्घटना का शिकार न हो जाए। कारण यह है कि कदम-कदम पर गड्ढे हैं और गड्ढों का मतलब ही धोखा है।
पहले से ही सडक़ें बदहाल थी। इस स्थिति में इन पर हजारों वाहनों का आना-जाना होता रहा। बारिश में इनकी दशा और दयनीय हो गई। कुछ दिन बाद मौसम ठीक हुआ तो मौके से गुबार उडऩा शुरू हो गए। हाल में ही हुई बारिश के बाद फिर से सडक़ों के बड़े हिस्से में जलजमाव हो गया, जहां पर गड्ढे मौजूद हैं। कोरबा से उरगा, कुसमुंडा, गोपालपुर से कटघोरा, कटघोरा से जेंजरा लखनपुर बायपास, बालकोनगर के परसाभाठा और रिंग रोड की सडक़ें इसी स्थिति में है। ऐसे में समझ नहीं आता कि दर्द ज्यादा किसका है, सडक़ों का या उस पर चलने वाले लोगों का। लंबे समय से सडक़ों की बदहाली को नागरिकों और उनके संगठनों के द्वारा अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की जानकारी में लाया गया है। समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया। इस वजह से हालात और भी खराब हो गए। जो पहले छोटे घाव थे वे कैंसर जैसे बन गए हैं और इस वजह से लोगों के लिए परेशानियां कुछ ज्यादा हैं। जिले की अधिकांश सडक़ों पर गड्ढों की अधिकता के बीच आवागमन करना दुस्वारियों भरा हो गया है। आवश्यकता कहें या फिर लोगों की मजबूरी, वे इस प्रकार के हालात में यहां से आना-जाना करने को मजबूर हैं। यह बात और है कि प्रशासन ने कुछ सडक़ों को ठीक कराने का मन बनाया है। पिछले दिनों कहा गया कि इन सडक़ों का सुधार जल्द कराया जाएगा और ऐसे कार्यों पर लगभग 26 करोड़ की राशि खर्च करेंगे। लगभग हर साल ही इस तरह के काम सडक़ों के मामले में होते हैं लेकिन फिर से उनका हाल कमोबेश यही हो जाता है।
सवाल उठ रहा है कि ऐसे काम गुणवत्ता की दृष्टिकोण से टिकाऊ क्यों नहीं हो पाते। कहा जा रहा है कि अगर निर्माण के लिए कोई एजेंसी गुणवत्ता की गारंटी देती है तो फिर कम समय में उसका बुरा हश्र क्यों हो जाता है।
पब्लिक सेक्टर क्षेत्र की सडक़ों की भी दुर्दशा
अनेक मौकों पर प्रशासन के द्वारा पब्लिक सेक्टर को कहा गया है कि वे अपने क्षेत्रों में सडक़ और अन्य सुविधाओं की बेहतरी के लिए विचार भी करें और काम भी। अधिकारियों ने इस पर हामी जरूर भरी लेकिन किया कुछ नहीं। यही कारण है कि एसईसीएल सुभाष ब्लॉक, 15 ब्लॉक, पंपहाउस और मानिकपुर क्षेत्र की मुख्य व आंतरिक सडक़ों की स्थिति दोयम दर्जे की हो गई है। कुसमुंडा और गेवरा-दीपका में भी यही हाल है। सडक़ विकास के लिए एसईसीएल बड़े मार्जिन के सिद्धांत पर काम देती है इसमें अफसरों से लेकर ठेकेदारों को अच्छे फायदे होते हैं। सूत्रों का कहना है कि इसी वजह से सडक़ें लंबे समय तक टीक नहीं पाती।
























