नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ओडिशा में 15 साल की एक किशोरी को जिंदा जलाए जाने की घटना को शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए खासकर ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें सुरक्षित आश्रय प्रदान करने पर जोर दिया। जस्टिस सूर्यकांत और जायमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि हमें सभी से सुझाव चाहिए कि स्कूली लड़कियों, महिलाओं और ग्रामीण इलाकों के बच्चों को सशक्त बनाने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जा सकते हैं? ये समाज के सबसे कमजोर और बेजुबान लोग हैं। हमारे निर्देशों का कुछ असर और स्पष्ट छाप होनी चाहिए। पीठ ने कहा कि तत्काल और भविष्य के लिए कुछ अल्पकालिक और दीर्घकालिक निर्देश जारी किए जाने चाहिए, ताकि तालुका स्तर पर रहने वाली महिलाओं को जागरूक और सशक्त बनाया जा सके।

खासकर महिलाओं को तालुका स्तर पर प्रशिक्षित और नियुक्त किया जा सकता है और महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भी मदद ली जा सकती है।

महिलाओं की सुरक्षा पर अदालत ने क्या कहा?

याचिकाकर्ता ”सुप्रीम कोर्ट महिला वकील संघ” की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महालक्ष्मी पावनी ने कहा कि कुछ दिन पहले ओडिशा में नाबालिग को जला दिया गया था और महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु में भी ऐसी ही घटनाएं हुई थीं। यह कब तक चलेगा? इस अदालत को महिलाओं की सुरक्षा के लिए कुछ निर्देश देने की जरूरत है।