लोगों का सवाल गड़बड़ी करने वाले पर अब कैसा भरोसा
कोरबा। प्रदेश के साथ कोरबा जिले में सुशासन का वातावरण बनाने के लिए न केवल दावे किए जा रहे हैं बल्कि जमीन पर काम भी हो रहा है। सुशासन अभियान का पहला चरण 8 से 11 अप्रैल तक संपन्न हो गया। उधर पौड़ी उपरोड़ा विकासखंड की बांगो पंचायत में विवादित रोजगार सहायक को हटाने के बाद इसी सुशासन अभियान में आश्चर्यजनक रूप से सचिव का दायित्व दे दिया गया। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि इससे सुशासन आएगा या कुछ और।
खबरों के अनुसार बांगो पंचायत में रोजगार सहायक मोहन दास की कार्यप्रणाली को लेकर लोगों को काफी आपत्ति थी। अभद्रता और कई चीजों को लेकर स्थानीय लोगों ने प्रशासन से शिकायत की थी। मनरेगा से जुड़े कामकाज में व्यापक गड़बड़ी को लेकर शिकायत हुई थी, जिसकी जांच प्रशासन ने कराई। जांच में यह प्रकरण सही पाया गया था और इसके बाद कार्रवाई करते हुए मोहन को दूसरी पंचायत मानिकपुर भेज दिया गया। जबकि पास की एक पंचायत में काम कर रहे रामकुमार को बांगो पंचायत में पदस्थ कर दिया गया। तब से रामकुमार यहां पर काम करते रहे।
पिछले दिनों सरकार हमने सुशासन अभियान की शुरुआत की और इसके प्रथम चरण में 8 से 11 अप्रैल तक समस्याओं और जरूरत को लेकर लोगों से आवेदन लिए। सबसे खास बात यह रही कि अभियान से पहले ही बांगो पंचायत में कामकाज के लिए रामकुमार के होते हुए मोहन दास को फिर से अस्थाई रूप से भेज दिया गया। अब यही विवादित रोजगार सहायक इस पंचायत में स्थाई रूप से सचिन का कामकाज करेगा। सबसे आपत्तिजनक बात तो यह रही है कि सुशासन अभियान में इस पंचायत में रामकुमार की पदस्थापना प्रभावित नहीं हुई थी और इसके बजाय दूसरे समकक्ष को भेज दिया गया। इस प्रकार की कार्यप्रणाली से ग्राम पंचायत क्षेत्र के लोग असमंजस में है कि आखिर सुशासन को धरातल पर उतारा जा रहा है या उसकी साख पर बट्टा लगाया जा रहा है।
अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है सचिव
दो दशक से पंचायत में सहायक ग्राम विकास अधिकारी के रूप में काम कर रहे सचिवों ने सरकार से मांग की है कि उनके नियमितीकरण को लेकर आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए। उनका तर्क है कि शिक्षा और अन्य विभाग में लंबे समय से काम कर रहे कर्मचारी नियमित कर दिए गए हैं। ऐसी स्थिति में केवल सचिवों के मामले में अलग प्रकार के नियम पर सरकार आखिर कैसे कम कर सकती है। सरकार के उदासीन रवैया से नाराज होकर पंचायत सचिव लंबे समय से हड़ताल पर है और ऐसे में पंचायत की व्यवस्था बाधित हो रही है। इसलिए हाल ही में एक आदेश जारी कर सचिव की जिम्मेदारी वैकल्पिक रूप से दी गई है।