
कोरबा। स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे होने की याद में देश अमृतकाल मना रहा है और इस उपलक्ष्य में सबकी बेहतरी पर काम करने की योजना चलाई जा रही है। यह बात अलग है कि आदिवासी बाहुल्य और औद्योगिक जिले कोरबा में संरक्षित जनजाति में आने वाले पंडो परिवारों की जिंदगी तंगहाली से गुजर रही है। ये लोग इंतजार में हैं कि इन्हें प्रधानमंत्री आवास कब मिलेगा।
प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ जहां देशभर में लाखों परिवारों को मिल रहा है, वहीं कोरबा जिले के अड़सरा ग्राम पंचायत में रहने वाले पंडो जनजाति के परिवार आज भी इस योजना से वंचित हैं। ना पक्के मकान हैं, ना शुद्ध पेयजल, और जंगल में रहने की वजह से जंगली जानवरों का भी खतरा बना हुआ है। जनप्रतिनिधियों के लिए ये परिवार सिर्फ वोट बैंक बनकर रह गए हैं, लेकिन उनकी समस्याओं की सुध लेने वाला कोई नहीं।
कोरबा जिले के पोड़ी विकासखंड के अड़सरा ग्राम पंचायत में पंडो जनजाति के लगभग 35 परिवार अब भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। इन परिवारों के पास ना तो रहने के लिए पक्के मकान हैं और ना ही शुद्ध पेयजल की सुविधा। ये लोग मिट्टी और झोपड़पट्टियों में रहने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वे बीते तीन सालों से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकानों की मांग कर रहे हैं, लेकिन ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने उनकी सुध तक नहीं ली। ग्रामीणों का कहना है कि इस क्षेत्र में कई खतरनाक जंगली जानवर भी घूमते हैं, जिससे उनके परिवारों की सुरक्षा पर भी खतरा बना रहता है। इस मामले पर जब जनपद पंचायत पोड़ी उपरोड़ा के सीईओ से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सर्वे किया जा रहा है। जल्द ही इस सर्वे में वंचित पंडो परिवारों को शामिल कर योजना का लाभ दिलाया जाएगा। अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन जल्द कोई ठोस कदम उठाएगा, या फिर ये परिवार सरकारी योजनाओं के लाभ से इसी तरह वंचित रहेंगे?






















