
नईदिल्ली, 25 जुलाई ।
पटना। विकास की पटरी पर तेज गति से दौड़ रहे बिहार की विकास दर कोरोना काल के अपवाद को छोडक़र निरंतर दोहरे अंक में बनी हुई है।वित्तीय वर्ष 2023-24 में यह 14.47 प्रतिशत रही, जो राष्ट्रीय औसत से 4.87 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, 2022-23 में बिहार की विकास-दर 15.30 प्रतिशत रही थी। गुरुवार को विधानसभा में प्रस्तुत नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट से इसकी जानकारी मिली। यह रिपोर्ट बता रही कि विकास दर के समानुपातिक ही राज्य की देनदारियों में भी वृद्धि हुई है। 2023-24 में राज्य की कुल देनदारी 398560.98 करोड़ रुपये थी। यह पूर्ववर्ती वर्ष की तुलना 12.34 प्रतिशत अधिक रही।यद्यपि कुल देनदारी निर्धारित अधिसीमा के भीतर रही, लेकिन 2023-24 में बिहार 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सका।कैग की इस रिपोर्ट में बिहार की वित्तीय व्यवस्था का पूरा कच्चा-चि_ा है। रिपोर्ट बता रही कि विकास में सर्वाधिक 57.06 प्रतिशत का योगदान तृतीयक क्षेत्र का रहा। इस क्षेत्र में सेवा से संंबंधित सभी कार्यकलाप आते हैं। प्राथमिक क्षेत्र का योगदान 24.23 प्रतिशत, जबकि निर्माण और बुनियादी ढांचा से संबंधित द्वितीयक क्षेत्र का योगदान 18.16 प्रतिशत रहा। प्राथमिक क्षेत्र के अंतर्गत कृषि, पशुपालन, मत्स्यपालन, वानिकी और खनन आदि आते हैं। जनसंख्या की सर्वाधिक निर्भरता आज भी प्राथमिक क्षेत्र पर ही है।