
कोरबा : कोरबा जिले की प्रशासनिक यात्रा में 18वें कलेक्टर के रूप में श्री अजीत वसंत का कार्यकाल संवेदनशीलता, दृढ़ निर्णय और विकास के स्पष्ट दृष्टिकोण से भरा एक उल्लेखनीय अध्याय बन गया है। 4 जनवरी 2024 को जिला कार्यालय में पदभार ग्रहण करते समय उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया था कि उनका कार्यकाल केवल प्रशासनिक दायित्वों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आमजन के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम बनेगा। लगभग दो वर्षों के कार्यकाल में उनका यह संकल्प शब्दों से निकलकर धरातल पर साकार होता दिखाई दिया।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के दिशा-निर्देशन एवं मंत्री श्री लखनलाल देवांगन के मार्गदर्शन में डीएमएफ फंड के सुव्यवस्थित और दूरदर्शी उपयोग से जिले के विकास के लिए ठोस आधार तैयार किया गया। बीते कुछ वर्षों से डीएमएफ को लेकर बनी विभिन्न धारणाओं की परवाह किए बिना श्री वसंत ने इसके सदुपयोग की स्पष्ट रणनीति बनाते हुए शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मूलभूत क्षेत्रों को प्राथमिकता दी। आने वाले कुछ महीनों में इन प्रयासों से कोरबा जिले में विकास की नई तस्वीर दिखाई देने की अपेक्षा है।
शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षकविहीन विद्यालयों में डीएमएफ से शिक्षकों एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की व्यवस्था, कमजोर विद्यार्थियों के लिए रेमेडियल कक्षाओं की शुरुआत तथा दसवीं कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने वाले आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों के लिए रायपुर में नीट और जेईई जैसी आवासीय कोचिंग की सुविधा, बारहवीं में अच्छे अंक हासिल कर बड़े संस्थाओं में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को आर्थिक सहायता के साथ उनके करियर निर्माण में मदद उपलब्ध कराई गई। ये पहलें इस बात का प्रमाण हैं कि श्री वसंत ने वर्तमान के साथ-साथ जिले के भविष्य पर भी गंभीरता से कार्य किया।
उन्होंने जिले की पहचान पहाड़ी कोरवा एवं बिरहोर समाज के शिक्षित युवाओं को रोजगार से जोड़ने, स्वास्थ्य विभाग में नियुक्तियां सुनिश्चित करने तथा दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षकों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए आवासीय सुविधाओं की स्वीकृति प्रदान करने जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए। इससे इन क्षेत्रों में सेवाओं की उपलब्धता के साथ-साथ स्थायित्व भी सुनिश्चित हुआ।
पदभार ग्रहण के समय उन्होंने स्पष्ट कहा था कि शासन की योजनाओं का शत-प्रतिशत और गुणवत्तापूर्ण क्रियान्वयन उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। पीएम जनमन योजना, विकसित भारत संकल्प यात्रा सहित अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए उन्होंने नियमित समीक्षा और निगरानी की। लोकसभा एवं नगरीय निकाय निर्वाचन की तैयारियों में भी उन्होंने प्रशासन को सजग रखते हुए समयबद्ध और पारदर्शी दिशा-निर्देश दिए।
अपने कार्यकाल में श्री वसंत ने शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सड़क और अधोसंरचना विकास के साथ-साथ प्रशासनिक पारदर्शिता को नई पहचान दी। डीएमएफ के माध्यम से शासकीय प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में सुबह के नाश्ते की व्यवस्था, आंगनबाड़ी एवं स्कूलों में लकड़ी के चूल्हों के स्थान पर गैस चूल्हों की सुविधा, जर्जर आंगनबाड़ी और स्कूल भवनों के लिए नए भवनों की स्वीकृति ने बच्चों और महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया।
इसके साथ ही नए पीडीएस भवनों,पंचायत भवनों, दशकों से जर्जर चिर्रा–श्यांग जैसी सड़कों सहित दूरस्थ क्षेत्रों को जोड़ने वाली सड़कों, पुलों और पुलियों की स्वीकृति से जिले के आवागमन और अधोसंरचना को नई गति मिली। इन कार्यों की पूर्णता से आने वाले समय में जिलेवासियों को व्यापक लाभ मिलेगा। श्री अजीत वसंत का प्रशासनिक अनुभव व्यापक और बहुआयामी रहा है। वे इससे पूर्व नारायणपुर एवं मुंगेली जिले में कलेक्टर, मानपुर–मोहला में अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), जांजगीर–चांपा एवं राजनांदगांव में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, राज्य शासन के भौमिकी एवं खनि कर्म विभाग के संचालक तथा गौरेला–पेंड्रा–मरवाही जिले में अपर कलेक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इस अनुभव का लाभ कोरबा जिले को भी मिला, जहाँ उन्होंने लोकसभा एवं नगरीय निकाय निर्वाचन का सफल संचालन सुनिश्चित किया।
कलेक्टर रहते हुए श्री वसंत विभागों की निरंतर समीक्षा करते रहे और शासन की योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए अधिकारियों को स्पष्ट दिशा-निर्देश देते रहे। स्कूली विद्यार्थियों एवं आंगनबाड़ी से स्कूल जाने वाले बच्चों के जाति प्रमाणपत्र बनवाने की पहल से हजारों विद्यार्थियों को सीधा लाभ मिला और उनकी शैक्षणिक राह सरल हुई।
कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी और निर्णय क्षमता के कारण श्री वसंत एक ऐसे प्रशासक के रूप में पहचाने गए, जो फाइलों से निकलकर सीधे जनता से जुड़ता है। कोरबा जिले के बाद अब उन्हें सरगुजा जैसे बड़े और महत्वपूर्ण जिले की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो उनके प्रशासनिक कौशल पर शासन के विश्वास का प्रतीक है।

























