
नई दिल्ली। जीएसटी के नए वर्जन में स्लैब, प्रारूप और कारोबारियों के रिफंड और पंजीयन को आसान करने के लिए बदलाव का प्रस्ताव रखा गया है। लेकिन इस प्रस्ताव में छोटी-छोटी गलती पर कारोबारियों को नोटिस भेजना और फिर उनका जीएसटी अधिकारी और कार्यालय के चक्कर लगाने की परंपरा को समाप्त करने को लेकर कुछ नहीं कहा गया है।
कारोबारी व जीएसटी विशेषज्ञों का कहना है कि यह उनके लिए सबसे बड़ी समस्या है और इसका निदान किए बगैर उन्हें राहत नहीं मिलने वाली है। कारोबारियों ने बताया कि कई बार जीएसटी रिटर्न फाइल करने में उनसे मामूली गलती हो जाती है। दूसरे व्यापारी के कारण कई बार इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की गणना में गलती होती है। कई बार वे देनदारी से थोड़ा कम जीएसटी ही दे पाते हैं। इन छोटी-छोटी गलतियों के लिए उन्हें नोटिस आ जाता है और उन्हें या उनके चार्टर्ड एकाउंटेंट को व्यक्तिगत रूप से जाकर अधिकारी को समझाने-बुझाने पर मुश्किल से मामले को खत्म किया जाता है।
नोटिस सैकड़ों कारोबारियों को भेजे जाते हैं
इस प्रकार के नोटिस सैकड़ों कारोबारियों को भेजे जाते हैं। जीएसटी एक्सपर्ट और चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) प्रवीण शर्मा ने बताया कि नोटिस आने पर कारोबारी अगर मेल से या डाक के माध्यम से जवाब भेजते हैं तो उसे अधिकारी नहीं पढ़ते हैं। बिना अधिकारी के पास गए मामले का निपटान नहीं हो सकता है।
कारोबारी पर जुर्माना बढ़ता रहता है
देनदारी का मामला नहीं निपटने तक कारोबारी पर जुर्माना बढ़ता रहता है। जानकारों का कहना है कि कारोबारी के रिटर्न की जांच मशीन करती है और जरा सी गलती पर मशीन ऑटोमेटिक रूप से कारोबारी को नोटिस भेज देती है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) के पूर्व चेयरमैन विवेक जोहरी ने बताया कि रिटर्न भरने के दौरान छोटे-छोटे कारोबारियों की मंशा कानून तोड़ने की नहीं होती है, बल्कि उनसे गलती हो जाती है और फिर उन्हें इसका खामियाजा भुगतान पड़ता है।