नई दिल्ली। दिल्ली भाजपा ने महापौर पद पर दो बार के पार्षद राजा इकबाल सिंह पर इसलिए दांव लगाया है क्योंकि आने वाले समय में निगम जंग का मैदान बनेगा। विपक्षी आप के पास भी करीब-करीब भाजपा के बराबर सदस्य होंगे। ऐसे में वह अपने मुद्दों को उठाने के साथ भाजपा शासन को भी घेरने की कोशिश करेंगे। इसी को देखते हुए भाजपा ने राजा इकबाल सिंह को महापौर और जय भगवान को उप महापौर पद का प्रत्याशी बनाया है।राजा इकबाल सिंह के राजनीतिक अनुभव की बात करें तो वह दूसरी बार के पार्षद हैं। उन्हें 2017 में अकाली दल के कोटे से भाजपा से टिकट मिली थी। जब केंद्रीय स्तर पर भाजपा और अकाली का गठबंधन टूटा, तो वह भाजपा में शामिल हो गए। राजा इकबाल सिंह के परिवार की भी राजनीतिक पृष्ठभूमि है। उनके ससुर और पत्नी के भाई भी इसी सीट से पार्षद रहे हैं। राजा इकबाल सिंह पूर्वकालिक उत्तरी निगम में सिविल लाइंस जोन के डिप्टी चेयरमैन से लेकर जोन चेयरमैन और डेम्स कमेटी के चेयरमैन व 2021 में महापौर बने थे। 2023 से वह निगम में नेता प्रतिपक्ष हैं।राजा इकबाल सिंह ने पूर्वकालिक तीनों निगम के एकीकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। उनके ही पत्र पर गृहमंत्रालय ने संज्ञान लेकर 2022 में तीनों निगमों को आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए एकीकृत किया। वहीं, राजा इकबाल सिंह 2022 में जब भी चर्चा में आए थे, जब जहांगीरपुरी में श्रीराम भक्तों की शोभायात्रा पर दंगाइयों ने पत्थर चलाए तो वह दंगाइयों का घर तोडऩे के लिए नगर निगम के दस्ते के साथ बुलडोजर लेकर पहुंच गए थे, हालांकि सुप्रीम कोर्ट की रोक के चलते एक्शन नहीं हो पाया था।उपमहापौर जय भगवान यादव भी दूसरी बार के पार्षद हैं। वह पहले नगर निगम में शिक्षक नेता थे।
पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के कहने पर नौकरी छोडक़र वह भाजपा में शामिल हो गए थे। कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी मंदीप सिंह भी दूसरी बार के पार्षद हैं। उनके पिता डा. विजेंद्र सिंह विधायक भी रहे हैं। आरिबा खान पहली बार की पार्षद हैं।