कोरबा। कोरबा जिले में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की कोल माइंस चार क्षेत्रों में संचालित है लेकिन इनमें से ज्यादा चर्चा उत्पादन को लेकर गेवरा और दीपिका की खदानों की होती है। राष्ट्र की ऊर्जा जरूर की पूर्ति के लिए इन खदानों से अधिकतम मात्रा का योगदान साबित हो रहा है। खबर के अनुसार अपने मूल काम के साथ-साथ स्वार्थ सिद्धि और दूसरों को भी उपकृत करने के लिए कोरबा जिले के दीपिका क्षेत्र की माइंस में लंबे समय से जबरदस्त तरीके का काम चल रहा है। इसमें रोड सेल तो कमाई कर ही रहा है । कोयला लेने के लिए डीओ लगाने वाला वर्ग भी मन माफिक लाभ प्राप्त करने में सफल हो रहा है। 20 रुपए प्रति टन कमीशन के हिसाब से डीओ होल्डर्स को दीपका में अच्छी क्वालिटी का कोयला मिल रहा है, वह भी दूसरे हिसाब से डीओ लगाने के बदले।
सूत्रों ने बताया कि एसईसीएल दीपका क्षेत्र की खदान में रोड सेल की व्यवस्था से प्रतिदिन बड़ी मात्रा में डीओ होल्डर्स को कोयला उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि उनकी व्यवसायिक जरूरतों को पूरा किया जा सके। नियमों के अंतर्गत अधिकृत रूप से केटेगरी वाइस डीओ लगाने पर संबंधित पार्टी को उसी ग्रेड का कोयला प्रदाय करना सुनिश्चित होना चाहिए। यह जिम्मेदारी विभाग के उस सिस्टम की है, जिसे यहां रखा गया है। लेकिन अफसरों के आशीर्वाद से इस मामले में तोड़ निकाल लिया गया है ताकि अपने लिए भी वातावरण अनुकूल हो और डीओ होल्डर्स के लिए भी। यानि दोनों हाथ में लड्डू। सूत्रों ने बताया कि यहां के रोड सेल से कई डीओ होल्डर्स जी10-100 का कोयला लेने के लिए डीओ बनवाते हैं। इसके अंतर्गत उन्हें संबंधित प्वाइंट से यही कोयला मिलना चाहिए। लेकिन ऐसा होता नहीं। बताया गया कि इसके ठीक उल्टे ऐसी पार्टियां दीपका क्षेत्र की खदानों के प्वाइंट से जी10-100 के विरुद्ध 250 एमएम कोयला को प्राप्त करने में सफल हो रहे हैं। लोग जानना चाहते हैं कि आखिर यह होता कैसे है। सूत्र बताते हैं कि कोल सेक्टर में यह असंभव भी नहीं और मुश्किल भी नहीं। इसके लिए कुछ व्यवस्थाओं पर चलना होता है। भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक जी10-100 के डीओ के विरुद्ध उच्चतम कोयले की आपूर्ति के एवज में 20 रुपए प्रति टन की अवैध वसूली की जाती है। दावा किया जा रहा है कि लंबे समय से विभाग में कमीशनखोरी का खेल खुलकर चल रहा है।
जहां दोयम और निम्न क्वालिटी के कोयले के बदले उच्च क्वालिटी का कोयला दिया जा रहा है। यह घोटाला न केवल खदान की साख को नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि स्श्वष्टरु को भी करोड़ों रुपये की चपत लगा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि इन गतिविधियों को चलाने में रोड सेल विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत उच्च अधिकारियों से है, जिसके चलते वे किसी कार्रवाई से बेखौफ हैं। यह कारनामा दीपका खदान के संचालन और वहां की ईमानदार छवि पर सवाल खड़े करता है।