
जालंधर, 01 नवंबर ।
स्मार्ट सिटी कंपनी के प्रोजेक्ट्स अब कैग (कंप्ट्रालर एंड आडिट जनरल) की जांच के दायरे में आ गए हैं। कैग की चार सदस्यीय टीम जांच के लिए जालंधर पहुंच गई है और स्मार्ट सिटी ऑफिस में रिकॉर्ड की पड़ताल कर रही है। यह टीम स्मार्ट सिटी कंपनी को अब तक आए फंड और इसके खर्च का हिसाब किताब देखेगी और फील्ड में जाकर प्रोजेक्ट्स की जांच भी करेगी।कैग की जांच स्मार्ट सिटी कंपनी के लिए मुसीबत बन सकती है क्योंकि स्मार्ट सिटी कंपनी के कई प्रोजेक्ट पहले ही विवादों में फंसे हैं। इनमें गड़बडिय़ों के आरोप लगते आ रहे हैं और आगामी नगर निगम चुनाव में यह प्रोजेक्ट राजनीतिक दलों के लिए बड़ा मुद्दा रहेंगे। कैग का प्रमुख काम पैसे के लेन-देन की जांच करना होता है और यह देखा जाता है कि जो काम हुआ है उसके लिए भुगतान में कोई खामी तो नहीं है। जालंधर में स्मार्ट सिटी कंपनी के जितने भी प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं और जो चल रहे हैं उनके काम को स्पाट विजिट करके भी जांच होगी। इस जांच में बड़ी गड़बडि़आं सामने आ सकती हैं क्योंकि कुछ काम पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं लेकिन यह जमीन स्तर पर कहीं नजर नहीं आते।स्मार्ट सिटी कंपनी के कई प्रोजेक्टस की विजिलेंस भी जारी जांच भी जारी है। ऐसे में कैग टीम की दस्तक स्मार्ट सिटी कंपनी के प्रोजेक्ट्स के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है। यह टीम सोमवार को जालंधर पहुंची है और मंगलवार को इस टीम ने स्मार्ट सिटी कंपनी का रिकॉर्ड खंगालना शुरू कर दिया है।बताया जा रहा है कि इस जांच को परफॉर्मर नाम दिया गया है और स्मार्ट सिटी कंपनी को अब तक जितना भी फंड मिला है, उस फंड से हुए काम के सभी प्रोजेक्ट पर खर्च एक-एक पैसे का हिसाब देखा जाएगा।केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी कंपनी के प्रोजेक्ट्स विवादों में फंसे हैं, प्रोजेक्ट में सबसे बड़ा नाम एलईडी स्ट्रीट लाइट का है। एलईडी स्ट्रीट लाइट्स प्रोजेक्ट 58 करोड रुपए का है और इसकी क्वालिटी को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। ठेका लेने वाली कंपनी इसका रखरखाव भी नहीं कर रही है। उपकरणों को लेकर भी दावे गलत साबित हुए हैं। भुगतान में कई खामियां हैं। थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन कंपनी, निगम हाउस की जांच टीम में गड़बड़ी साबित हुई है और विजिलैंस जांच जारी है।
11 चौक के सुंदरीकरण पर 20 करोड रुपए खर्च किए जाने थे लेकिन कई आरोपों के बाद इस प्रोजेक्ट को बीच में रोक दिया गया। करीब 8.50 करोड रुपए इस पर खर्च किए गए हैं। यह रुपया कहां खर्च किया गया है इसका भी कुछ अता पता नहीं है। सभी चौक खराब हालत में है।स्मार्ट रोड का काम काफी खराब है। करीब 50 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट पर भी कई बार सवाल खड़े हुए हैं। अभी भी कई जगह इसका काम लंबित है। जो सडक़ें बनी हैं वह किसी भी तरीके से स्मार्ट वर्क नहीं है।ग्रीन बेल्ट और पार्कों के विकास पर करीब 20 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। फ्लाईओवरों पर वर्टीकल गार्डन, पाकों का विकास का दावा किया गया। कई इलाकों में पार्क विकसित करने का दावा है लेकिन जमीन तौर पर हालात काफी खराब है। इनके रखरखाव और मानिटरिंग का भी कोई इंतजाम नहीं किया गया।
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