नईदिल्ली, 0७ दिसम्बर ।
बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार बनने के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्तों में काफी खटास आ चुकी है। पड़ोसी मुल्क में आए दिन हिंदू समुदाय के लोगों पर हमले हो रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर दुनिया के कई नेताओं ने इस बात पर चिंता जाहिर की है। इसी बीच बांग्लादेश और भारत के बीच निर्धारित विदेश सचिव स्तरीय वार्ता 9 या 10 दिसंबर को ढाका में आयोजित किया गया है।विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने जानकारी दी है कि विदेश सचिव विक्रम मिस्री का 9 दिसंबर को बांग्लादेश का दौरा करने का कार्य्रम है और वह अपने समकक्ष से मुलाकात करेंगे और यात्रा के दौरान कई अन्य बैठकें होंगी। विदेश सचिव के नेतृत्व में विदेश कार्यालय परामर्श एक संरचित जुड़ाव है। दोनों देशों के लिए यह बैठक काफी महत्वपूर्ण साबित होने वाली है।बांग्लादेश ने हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों को लेकर कोलकाता में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच कोलकाता में तैनात अपने कार्यवाहक उप उच्चायुक्त सिकंदर मोहम्मद अशरफुर रहमान को परामर्श के लिए तत्काल बुलाया है। रहमान बांग्लादेश के राजनीतिक मामलों के मंत्री भी हैं और वह ढाका लौट गए हैं। कोलकाता में बांग्लादेश के उप उच्चायोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कोलकाता में हमारे कार्यालय के बाहर जारी विरोध प्रदर्शनों के बाद अशरफुर रहमान को बातचीत के लिए तत्काल बुलाया गया है। इसके अलावा वह अगले सप्ताह दोनों देशों के बीच होने वाली विदेश सचिव स्तर की वार्ता के दौरान प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे। वह इस महीने के मध्य तक वापस आ जाएंगे। राजनीतिक दलों और धार्मिक समूहों ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के विरुद्ध अत्याचारों की निंदा करते हुए कोलकाता स्थित उप उच्चायोग के सामने पिछले सप्ताह कई विरोध प्रदर्शन किए। संबंधित घटनाक्रम के तहत त्रिपुरा की राजधानी अगरतला स्थित बांग्लादेश सहायक उच्चायोग ने सुरक्षा कारणों से अपनी सभी सेवाएं अगले आदेश तक स्थगित कर दी हैं।
बांग्लादेश ने यह घोषणा उसके देश में हिंदू भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे लोगों के एक समूह द्वारा अगरतला स्थित सहायक उच्चायोग में सोमवार को जबरन घुसने की घटना के बाद की। बढ़ते तनाव के बीच बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने अगरतला स्थित सहायक उच्चायोग में हुई तोडफ़ोड़ को लेकर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए ढाका में भारत के उच्चायुक्त को तलब किया था। सनद रहे कि भारत और बांग्लादेश के रिश्ते पूर्व पीएम हसीना को सत्ता से हटाने के बाद से ही तनाव से भरे हुए हैं। नोबल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मोहम्मद युनूस की अध्यक्षता वाली सरकार का रवैया पूरी तरह से भारत विरोधी है। लगातार ऐसे फैसले किये जा रहे हैं जो भारत के हितों को नुकसान पहुंचाने वाले हैं। साथ ही अल्पसंख्यक हिंदुओं पर भी लगातार हमला हो रहा है और उसे सरकारी एजेंसियां गंभीरता से नहीं ले रही। युनूस सरकार जिस तरह से पाकिस्तान के साथ अपने संबधों पर जोर दे रही है वह भी भारत के लिए चिंता का कारण है।
हसीना सरकार के पहले की बीएनपी की खालिदा जिया सरकार के कार्यकाल में बांग्लादेश पाकिस्तान समर्थक आतंकी संगठनों का अड्डा बन गया था। हसीना सरकार ने पाकिस्तान की गतिविधियों पर जिस तरह से रोक लगाई थी उसमें अब धीरे धीरे ढिलाई दी जा रही है।