
नईदिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत रद्द करने की याचिका पर सुनवाई टल गई। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद 15 जुलाई के लिए सुनवाई टाल दी। सुनवाई के दौरान ईडी के अधिवक्ता ने अदालत से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। अधिवक्ता ने कहा कि केजरीवाल का जवाब मंगलवार देर रात ही मिला है ऐसे में जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय चाहिए। वहीं, केजरीवाल के अधिवक्ता ने कहा कि मामले के जांच अधिकारी (आईओ) को यह प्रति दोपहर एक बजे दी गई थी। केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सुनवाई के लिए एक विशिष्ट समय निर्धारित किया जाना चाहिए, क्योंकि मामले में अत्यधिक तात्कालिकता है। केजरीवाल के अधिवक्ता ने आरोप लगाया कि ईडी मामले को लंबा खींचना चाहती है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि उनका मुवक्किल ईडी द्वारा जासूसी का शिकार हैं और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी जमानत रद्द करना न्याय की विफलता के समान होगा। अधिवक्ता ने ईडी की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि ईडी मामले में अन्य सह-आरोपितों पर दबाव डालने और उन्हें जमानत दिए जाने पर अभियोजन पक्ष द्वारा अनापत्ति के बदले में आपत्तिजनक बयान देने के लिए प्रेरित करने के अवैध उपायों का उपयोग करती है। अधिवक्ता ने कहा कि जमानत आदेश तर्कसंगत था।तर्कों से निपटने में उचित विवेक का प्रयोग किया गया है। ईडी द्वारा दी गई सभी दलीलें न केवल कानून की नजर में अपुष्ट हैं बल्कि अदालतों के प्रति उनकी उदासीनता, असंवेदनशीलता और दबंगई भरे रवैये को भी दर्शाती हैं। अधिवक्ता ने कहा कि ईडी की ओर से की गई टिप्पणियां और आक्षेप न केवल न्याय के लिए हानिकारक होंगे बल्कि जिला न्यायपालिका को भी हतोत्साहित करेंगे।अधिवक्ता ने तर्क दिया कि गिरफ्तारी एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को परेशान करने और अपमानित करने के लिए अवैध रूप से की गई थी और ईडी के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जिसके आधार पर उन्हें और अधिक कारावास में रखने को उचित ठहराया जा सके।अधिवक्ता ने कहा कि ईडी ने केजरीवाल को झूठी और मनगढ़ंत कहानी में फंसाया है, उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है और इस मामले में गिरफ्तारी पूरी तरह से अवैध है। ईडी की दलील कि मामले पर बहस करने के लिए ट्रायल कोर्ट द्वारा पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया, केजरीवाल के अधिवक्ता ने कहा कि केवल इसलिए कि अदालत ने ईडी के अधिवक्ता को संक्षिप्त रहने के लिए कहा था इसे किसी भी तरह से अवसर को कम करने के रूप में नहीं माना जा सकता है।
अधिवक्ता ने कहा कि केजरीवाल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का कोई अपराध नहीं बनता है। उनके जीवन और स्वतंत्रता को झूठे व दुर्भावना से प्रेरित मामले में अनुचित उल्लंघन से बचाया जाना चाहिए। केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट की अवकाश न्यायाधीश न्याय बिंदु ने 20 जून को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी थी। ट्रायल कोर्ट ने केजरीवाल के जमानत आदेश में कहा था कि पीएमएलए की धारा 3 के तहत केजरीवाल के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है।ईडी ने आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए दलील दी थी कि ट्रायल कोर्ट का आदेश विकृत और एकतरफा था व निष्कर्ष अप्रासंगिक तथ्यों पर आधारित थे। साथ ही आरोप लगाया था कि निचली अदालत ने उन्हें दलीलें सुनने का उचित अवसर नहीं दिया। ईडी की चुनौती पर दिल्ली हाई कोर्ट ने 25 जून को ट्रायल कोर्ट के विवादित आदेश पर रोक लगा दी थी।