
भोपाल। बीते दो दिन से दिल्ली में डेरा डालकर बैठे प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमल नाथ और उनके सांसद बेटे नकुल नाथ के भाजपा में शामिल होने को लेकर असमंजस अब भी बरकरार हैं। अटकलें यही हैं कि कमल नाथ के साथ कांग्रेस के कुछ विधायक, महापौर समेत अन्य नेता व कार्यकर्ता भी कांग्रेस को अलविदा कह सकते हैं। कमल नाथ का अगला कदम क्या होगा, बीते दो दिन से भोपाल से लेकर दिल्ली तक सियासी अटकलों का बाजार गर्म है। माना जा रहा था कल शाम को दिल्ली में भाजपा का राष्ट्रीय अधिवेशन खत्म होने के बाद कमल नाथ की पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात हो सकती है, लेकिन कल देर रात तक ऐसा नहीं हुआ।
नाथ के नजदीकी सूत्रों का मानना है कि कमल नाथ राजनीति से सन्यास ले सकते हैं। इसकी कई वजह भी बताई जा रही है। पहली, भाजपा में कमल नाथ को शामिल करने पर सहमति नहीं बन पा रही है। दूसरी, सिख दंगों के कारण भाजपा एक समुदाय को नाराज नहीं करना चाहती है। ऐसे हालात में छिंदवाड़ा सांसद नकुल नाथ को वे भाजपा में भेज सकते हैं। उधर, कमल नाथ के करीबी और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कल शाम दिल्ली में कमल नाथ के आवास के बाहर आकर मीडियाकर्मियों से कहा कि उन्होंने (कांग्रेस छोडऩे को लेकर) ऐसा कुछ नहीं सोचा है। वहीं, देर शाम भोपाल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का भी बयान आया, जिसमें उन्होंने कहा कि मेरी उनसे (कमल नाथ) से बात हुई है। उन्होंने कहा कि जो बातें मीडिया में आ रही हैं, सब भ्रम है। मैं कांग्रेसी था, हूं और रहूंगा। लोकतंत्र में हार-जीत लगी रहती है।
हर परिस्थिति में उन्होंने दृढ़ता के साथ कांग्रेस के विचार के साथ जीवन जिया है और आगे भी कांग्रेस के विचारों के साथ अंतिम सांस तक जीवन जीएंगे। वहीं भाजपा में भी कमल नाथ को लेकर कुछ विरोधी स्वर उठने की खबरें हैं। बताया जा रहा है कि भाजपा के कुछ नेताओं का कहना है कि 1984 के सिख दंगों के आरोपी कमल नाथ को पार्टी में लेने से सिख समाज में गलत संदेश जाएगा। इसका दिल्ली समेत पंजाब जैसे राज्यों में प्रतिकूल असर पड़ सकता है।