नई दिल्ली। आयकर विभाग में भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिए शुरू की गई फेसलेस एसेसमेंट योजना में ही सेंधमारी हो गई। आयकर विभाग के अधिकारियों और चार्टर्ड एकाउंटेंट के बीच मिलीभगत से फेसलेस एसेसमेंट के मामलों का डाटा लीक होने और मामले को सुलझाने के लिए आयकर देने वाले से रिश्वत मांगने का मामला सामने आया है। आयकर महानिदेशक से मिली शिकायत पर कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने नौ आरोपियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की है, जिनमें पांच सीए, आयकर विभाग के एक डिप्टी कमीश्नर व दो इंस्पेक्टर सहित नौ लोग शामिल हैं। इस मामले में सीबीआइ दिल्ली, मुंबई, थाने, पश्चिम चंपारण (बिहार), बेंगलुरू, कोट्टायम (केरल) में 18 स्थानों पर छापा मारा है।
ध्यान देने की बात है कि पिछले सालों में केंद्र सरकार ने आयकर विभाग में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए फेसलेस एसेसमेंट की योजना शुरू की थी, जिसमें आयकर देने वाले और उनकी आयकर की गणना करने वाले अधिकारी का नाम गुप्त रखा जाता है। आयकर देने वाले और उसकी गणना करने वाले अधिकारी के आमने-आमने नहीं आने के कारण रिश्वत देने या मांगने की आशंका नहीं रहती है। लेकिन दिल्ली के झंडेवाला स्थित कार्यालय में तैनात डिप्टी कमीश्नर विजयेंद्र और मुंबई ब्रांच में तैनात दो इंस्पेक्टर दिनेश कुमार वर्मा और विनायक शर्मा पर कुछ करदाताओं का डाटा लीक कर सीए को देने का आरोप है।