जांजगीर । प्राइेवट स्कूलों में गरीबों बच्चों की सीटें हर साल खाली रह जा रही हैं। शैक्षणिक सत्र 23-24 में ही जिले में 589 सीटें खाली रह गई। इन सीटों के लिए पात्र बच्चे नहीं मिले। जिले के 445 प्राइवेट स्कूलों में इस बार प्रारंभिक कक्षाओं में 25 प्रतिशत सीटों के आधार पर 4027 बच्चों को प्रवेश दिलाने का लक्ष्य रखा गया था। इनमें 3438 बच्चों को दाखिला मिला। 589 सीटे खाली रह गई। पिछले साल भी 1100 सीटें खाली रह गई थी। गौरतलब है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत प्राइवेट स्कूलों में भी गरीब अभिभावकों के बच्चे मुफ्त में पढ़ाई कर सके, इसके लिए राज्य सरकार ने मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था की है। इसमें प्राइवेट स्कूल के प्रारंभिक क्लास (नसज़्री, क्लास वन) की 25 प्रतिशत सीट में ऐसे बच्चों को दाखिला दिलाने का नियम है। इन बच्चों की फीस राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है और प्राइवेट स्कूलों को प्रति बच्चे के हिसाब से फीस दी जाती है। मगर इसके बाद भी सीटें नहीं भर पाती।इधर सीटें खाली तो दूसरी ओर सैकड़ों आवेदन हो जाते हैं रिजेक्ट। ऐसा नहीं है कि अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहते। आवेदनों की संख्या बता रही है कि अभिभावक भी चाहते हैं कि उनके बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़े मगर मापदंडों में खरे नहीं उतरने के चलते आधे से ज्यादा आवेदन हर साल रिजेक्ट हो जाते हैं। इस साल भी 6 हजार से ज्यादा आवेदन हुए थे। एक ओर जहां सीटें हर साल खाली रह जाती है दूसरी ओर सैकड़ों आवेदन रिजेक्ट भी हो जाते हैं। क्योंकि अभिभावकों के द्वारा आवेदन तो कर दिए जाते हैं लेकिन दस्तावेज अपूर्ण रहते हैं। बच्चों की आयु, सर्वे सूची में नाम, जाति प्रमाण पत्र समेत अन्य दस्तावेज जरुरी रहते हैं। रिक्त सीटों की संख्या अभी और बढ़ सकती है। क्योंकि दूसरे चरण में 750 बच्चों को स्कूल आवंटित किया है। इन बच्चों को संबंधित स्कूलों के द्वारा 22 अगस्त तक एडमिशन देना है। ऐसे में यदि शत-प्रतिशत बच्चे एडमिशन लेंगे तब भी 589 सीटें खाली रह जाएंगी। और यदि 750 में से कोई बच्चे एडमिशन नहीं लेते हैं तो खाली सीटों की संख्या और बढ़ जाएंगी। इधर आरटीई के तहत बच्चों की फीस का करोड़ों रुपए बकाया है। अशासकीय विद्यालयों के द्वारा कई बार आरटीई की फीस दिलाने की मांग कर चुके हैं। लेकिन फीस भुगतान लंबित है। ऐसे में अशासकीय विद्यालयों को संचालन करने में भी परेशानी होती है।