
जांजगीर। वरिष्ठ साहित्यकार ईश्वरी यादव के चार पुस्तकों उलूकोपाख्यान व्यंग्य, खिड़कियां खोल दो, कुछ उजाला करो सजल संग्रह,पनघट पनघट प्यास दोहा संग्रह,आएगा स्वर्णिम प्रभात फिर मुक्तक संग्रह का लोकार्पण शील साहित्य परिषद जांजगीर के नरेंद्र श्रीवास्तव सभागार में हुआ।संतोष कश्यप,मनोज पाण्डेय, आलोक शुक्ला,महेश राठौर मलय ने इन पुस्तकों की समीक्षा पढ़ी।कार्यक्रम का आरंभ माँ सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित कर, श्रीफल अर्पित कर मुख्य अतिथि प्रफुल्ल कुमार शुक्ला सेवा निवृत्त ए जी एम बाल्को, अध्यक्ष विजय कुमार दुबे ने किया। रामगोपाल राठौर के संगीत समूह ने सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि प्रफुल्ल कुमार शुक्ला ने ईश्वरी यादव से संबंधित बचपन में बिताए गए समय को याद किया।उन्होंने कहा कि बाल सखा के रूप में उन दोनो ने बचपन का भरपूर लुत्फ उठाया। ईश्वरी यादव के साहित्यिक अवदान को भी उन्होंने रेखांकित किया।अध्यक्षीय उद्बोधन में विजय दुबे ने इस बात पर चिंता व्यक्त किया कि लोग पुस्तकालय रखते हैं, दिखाते हैं,लेकिन किताबों का अध्ययन नहीं करते।ईश्वरी यादव ने साहित्य सृजन पर प्रकाश डाला एवं उपस्थित अतिथियों ,सुधिजनों के प्रति आभार ज्ञापित किया। संचालन सतीश सिंह ने किया। इस विमोचन कार्यक्रम में विजय राठौर,कृष्ण कुमार पाण्डेय,मधुसूदन शर्मा,राधेश्याम सोनी,दयानंद गोपाल,दिनेश रोहित चतुर्वेदी,सुरेश पैगवार,उमाकांत टैगोर, रोशन केसरवानी,राजेन्द्र प्रसाद तांडे,संजय अग्रवाल,शीवधन शुक्ला,शिवलाल कहरा, मूलचंद साव,अमित उपाध्याय,मनोज यादव,हितेश कहरा, मोहित,राजेश यादव, ईश्वरी यादव के पुत्र कमलेश यादव, सुरेश यादव एवं परिवार सहित अन्य साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।