नईदिल्ली, २८ सितम्बर । विधि आयोग के चेयरमैन जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने बुधवार को कहा कि एक देश एक चुनाव (लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ) के मुद्दे पर काम अभी भी जारी है और इस पर रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए कोई समयसीमा निर्धारित नहीं की गई है।जस्टिस अवस्थी ने यह भी बताया कि यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा (पोक्सो) अधिनियम और आनलाइन एफआइआर पर रिपोर्टों को कानून मंत्रालय को भेजा जा चुका है। पत्रकारों से बातचीत में जस्टिस अवस्थी ने कहा, एक साथ चुनावों पर अभी भी कुछ काम चल रहा है। हमने रिपोर्ट को अंतिम रूप नहीं दिया है। इसको अंतिम रूप देने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं है। प्रक्रिया के मुताबिक, विधि आयोग की सभी रिपोर्टें केंद्रीय कानून मंत्रालय को सौंपी जाती हैं, वहां से उन्हें संबंधित मंत्रालयों को अग्रसारित कर दिया जाता है। एक साथ चुनाव कराने का मुद्दा वर्षों से विधि आयोग के समक्ष लंबित है। पूर्ववर्ती विधि आयोग ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए तीन विकल्प सुझाए थे, लेकिन साथ ही कहा था कि कई बिंदुओं का समाधान किया जाना शेष है। इस कवायद पर मसौदा रिपोर्ट के साथ जारी सार्वजनिक अपील में आयोग ने कहा था कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने में आ रही कई बाधाओं से निपटा गया है, लेकिन कुछ बिंदुओं पर अभी भी विचार किया जाना बाकी है। आयोग ने सभी हितधारकों से इस बाबत सुझाव देने को कहा था कि क्या एक साथ चुनाव कराने से किसी भी तरह से लोकतंत्र, संविधान के बुनियादी ढांचे या देश की संघीय राजनीति के साथ छेडख़ानी होगी। आयोग का कहना था कि विभिन्न समितियों और आयोगों ने त्रिशंकु संसद या विधानसभा की स्थिति से निपटने के लिए सुझाव दिए हैं। उनके सुझाव हैं कि ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री उसी तरह नियुक्त या चयनित किया जा सकता है जैसे सदन का स्पीकर चुना जाता है। अब वर्तमान आयोग ने भी इस विषय पर काम शुरू किया है। पोक्सो एक्ट पर विधि आयोग की रिपोर्ट सहमति की आयु के मुद्दे पर है। पिछले कुछ वर्षों से किशोरों के बीच संबंधों की प्रकृति का निर्धारण करने में सहमति की भूमिका का अक्सर पोक्सो अधिनियम के साथ टकराव हुआ है। पिछले वर्ष दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि इस अधिनियम का उद्देश्य बच्चों को यौन उत्पीडऩ से बचाना है और इसका उद्देश्य कभी भी युवा बालिगों के बीच सहमति से प्रेम संबंधों का अपराधीकरण करना नहीं है। अदालत ने यह टिप्पणी उस लड़के को जमानत प्रदान करते हुए की थी जिसने 17 वर्षीय लड़की से विवाह किया था और उसे 2012 में बने कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था। उल्लेखनीय है कि विधि आयोग का गठन प्रत्येक तीन वर्षों में किया जाता है और वह जटिल कानूनी मुद्दों पर सरकार को सलाह देता है।