
कोरबा। सभी प्रकार के विकल्प आसानी से उपलब्ध होने के बावजूद कोरबा जिले के एक हिस्से में रहने वाले लोगों को कोरबा अथवा बिलासपुर से कनेक्टिंग ट्रेन लेने के लिए अतिरिक्त समय देना पड़ रहा है और ज्यादा रुपए परेशानी हो रही है सो अलग। सामाजिक कार्यकर्ता अजय कुमार दुबे ने गेवरा स्टेशन से लंबित रेल गाडिय़ों के पुन: प्रचालन की मांग कोरबा प्रवास पर आए हुए केंद्रीय रेलवे राज्य मंत्री वी. सोमन्ना से की। उन्हें नागरिकों को हो रही व्यावहारिक परेशानियां से भली भांति अवगत कराया गया। संक्षिप्ट्स लेकिन महत्वपूर्ण चर्चा के दौरान रेल राज्य मंत्री से रीवा बिलासपुर एक्सप्रेस को बिलासपुर की बजाय कोरबा से प्रारंभ करने एवं जयपुर के लिए कोरबा से ट्रेन प्रारंभ करने की भी मांग की गई। उन्हें बताया गया कि पिछले वर्षों में कोरोना काल में प्रभावित गेवरा स्टेशन से रेलवे का प्रचालन बंद कर दिया गया था। जिसके कारण नदी के दूसरी तरफ रहने वाले एसईसीएल के सभी कर्मचारी एवं ग्रामीणों को अत्यंत परेशानी हो रही है। रात्रि में कोरबा से वापस आने में साधन नहीं मिलता है। यदि मिलता भी है, तो उन्हें 500 से 1000 रूपये यात्री भाड़ा देना पड़ता है। इसकी मांग समय-समय पर विभिन्न सामाजिक संगठनों एवं आम लोगों ने भी की है, किंतु अभी तक स्टेशन से यात्री गाडिय़ों का पुन: प्रचालन प्रारंभ नहीं किया गया । रेलवे मंत्री ने आश्वासन दिया है, कि वह प्रधानमंत्री से बात करके इस विषय पर गंभीरता से चर्चा कर पुन: रेलवे स्टेशन को प्रारंभ कर गाडिय़ों का प्रचालन प्रारंभ करवायेंगे। इस दौरान जिला चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष योगेश जैन एवं रेलवे संघर्ष समिति कोरबा के पदाधिकारी गण भी उपस्थित थे।
सामाजिक उत्तरदायित्व से जुड़ा है रेलवे
यहां बताना आवश्यक होगा कि प्रतिदिन कई करोड़ लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने का काम रेलवे करता है। देश के विभिन्न राज्यों में रेल कनेक्टिविटी का नेटवर्क इतना मजबूत है कि वहां एक लाख से ज्यादा ट्रेन संचालित की जा रही है, जो अलग-अलग श्रेणी की है। इनके माध्यम से नागरिकों को किफायती और सहूलियत समयबद्ध सेवाएं दी जा रही हैं। इस प्रकार से मान लिया गया है कि भारत सरकार के अंतर्गत काम करने वाला रेलवे कुल मिलाकर सामाजिक उत्तरदायित्व के मामले में सबसे आगे हैं। नागरिक संगठन इस बात को महसूस कर रहे हैं कि जिन क्षेत्रों में रेल नेटवर्क मौजूद है और लोगों की आवश्यकता है भी ज्यादा है कम से कम वहां के हितों का ख्याल रेलवे रखें।