बतौली। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अब क्षेत्र में चुनाव की तैयारी दिखाई दे रही हैं। नए उम्मीदवार सामने आने लगे हैं। विरोध व दावेदारी का दौर शुरू हो गया है। इसी क्रम में बतौली में बुधवार को बड़ी संख्या में ग्रामीण डाकखाने पहुंचे थे। बताया जा रहा है कि खाद्य मंत्री अमरजीत भगत के विरोध में पहुंचे ग्रामीण सीतापुर कोटछाल निवासी रामकुमार टोप्पो को उम्मीदवार बनाए जाने का प्रस्ताव लेकर यहां पहुंचे थे। सभी ने पोस्टकार्ड के माध्यम से उन्हें संदेश भेजा है। ग्रामीणों की मांग है कि रामकुमार टोप्पो उनका प्रतिनिधित्व करें। सीतापुर खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का मजबूत विधानसभा क्षेत्र है । वे यहां से लगातार चार बार विधायक रहे हैं । इस बार उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। इस बीच चिरंगा में प्रस्तावित एलुमिना हाइड्रेट फैक्ट्री को लेकर ग्रामीणों के एक तबके में मंत्री के खिलाफ नाराजगी है। इसी की बानगी बतौली में दिखाई दी है। दर्जनों की संख्या में ग्रामीण बतौली के पोस्ट ऑफिस पहुंचे थे। सभी ने पोस्टकार्ड के माध्यम से सीतापुर के जामकानी कोटछाल निवासी रामकुमार टोप्पो को उम्मीदवार बनाए जाने का प्रस्ताव रखा। रामकुमार सेना में अधिकारी हैं और मूल रूप से सीतापुर के कोटछाल के रहने वाले हैं। इस समय दिल्ली में पदस्थ है । ग्रामीण चाहते हैं कि वे उन सब का प्रतिनिधित्व करें और अपनी दावेदारी पेश करें। इसलिए बुधवार को सभी ने पोस्टकार्ड के माध्यम से उन्हें संदेश भेजा है और अपना प्रस्ताव सामने रखा है। ग्रामीणों ने बताया कि आठ से 10 पंचायत के ग्रामीण, युवा, महिलाएं सभी ने मांग की है कि रामकुमार टोप्पो ही उनके उम्मीदवार बने । इस मामले को लेकर बतौली क्षेत्र में चर्चा जोरों पर है । अंदाजा लगाया जा सकता है कि एलुमिना हाइड्रेट फैक्ट्री के विरोध में जो पंचायतें थीं, उन क्षेत्रों के अलावा आसपास के क्षेत्र के ग्रामीण सीतापुर विधानसभा के विधायक पद के लिए नई दावेदारी पेश कर दी है। बता दें कि बतौली क्षेत्र के चिरंगा में एलुमिना हाइड्रेट फैक्ट्री प्रस्तावित है। शुरू से ही आसपास के कई पंचायतों के लोग इस फैक्ट्री का विरोध कर रहे हैं । बतौली में पोस्टकार्ड के माध्यम से संदेश भेजने वालों में भी उन्ही पंचायत के लोग शामिल थे। चिरंगा, कालीपुर , मांजा, पोपरेंगा, करदना, कालीपुर और अन्य पंचायत के ग्रामीण आज नई दावेदारी को लेकर सामने थे। ग्रामीणों ने फैक्ट्री को लेकर एक लंबी लड़ाई लड़ी है। शासन स्तर से ग्रामीणों को मनाने की कई बार कोशिश हुई।