नईदिल्ली, २४ अगस्त । पूर्व केंद्र मंत्री और कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने अपनी आत्मकथा मेमोयर्स ऑफ ए मावेरिक- द फर्स्ट फिफ्टी इयर्स (1941-1991) में कई ऐसी बातें लिखी हैं, जिन पर विवाद हो सकता है। किताब में उन्होंने राजीव गांधी को लेकर लिखा है कि तत्काल प्रधानमंत्री द्वारा अयोध्या में राम मंदिर के ताले खुलवाना और शिलान्यास की अनुमति देने का फैसला गलत था। भाजपा के पहले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी नहीं, नरसिम्हा राव थे। काम करते हुए मुझे पता कि पी वी नरसिम्हा राव कितने सांप्रदायिक और कितने हिंदूवादी थे। मुझे लगता है कि बाबरी मस्जिद मुद्दे को ठीक प्रकार से हैंडल नहीं किया गया। राम मंदिर का शिलान्यास गलत था। राजीव गांधी ने आर के धवन को पीएमओ में लाकर भयानक गलती कर दी थी, जिन्होंने तुरंत उस कार्यालय का राजनीतिकरण कर दिया।’ मणिशंकर अय्यर ने कहा, राजीव गांधी को पीएम बनाया गया तो मुझे हैरानी हुई। एक पायलट देश कैसे चला पाएगा, लेकिन जब उनका काम देखा, तो तारीफ की। बकौल मणिशंकर अय्यर, मौजूदा सरकार पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक तो कर सकती है, लेकिन इस बात का साहस नहीं है कि पाकिस्तान के नेताओं के साथ टेबल पर बैठकर बात कर सके। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दिखाया कि पाकिस्तान के साथ बातचीत करके वे कश्मीर पर चार सूत्री समझौते पर पहुंच सकते हैं। जब तक हम पाकिस्तान के साथ मुद्दों को सुलझाने में सक्षम नहीं हैं, मुझे डर है कि पाकिस्तान हमारी गर्दन का बोझ बना रहेगा और हम कभी भी दुनिया के विश्वगुरु नहीं बन पाएंगे।