
हिंदू धर्म की पौराणिक कथाएं काफी ज्यादा दिलचस्प हैं। हिंदू धर्म की पौराणिक कथा में सिर्फ देवी-देवता ही नहीं बल्कि कई प्रकार के जीव-जंतुओं, जानवरों और राक्षसों का भी वर्णन किया गया है। हांलाकि इनके बारे में अधिकतर लोगों को जानकारी नहीं है। लेकिन पुरानी किंवदंतियों में मौजूद कई पौराणिक जीव-जंतुओं के बारे में बताया जाता है।
ऐरावत- ऐरावत हाथी के बारे में तो आप सभी जानते होंगे। लेकिन बहुत से लोग ऐरावत हाथी के जन्म की कहानी नहीं जानते होंगे। जब सृष्टि के रचनाकार ब्रह्मा ने अंडे के छिलके के दो हिस्सों पर सात पवित्र भजन गाए। तो जिसमें से गरुड़ के साथ सात नर और आठ मादा हाथियों का जन्म हुआ था। इस तरह से तीन मुंह वाले ऐरावत हाथी का जन्म हुआ। एक अन्य किंवदंती के मुताबिक दूध के सागर का मंथन के दौरान ऐरावत हाथी निकला था। यह काफी शक्तिशाली और बुद्धिमान था, जो हमेशा भगवान इंद्र के साथ रहता था।
वृत्र अहि-हिंदू पौराणिक कथाओं का एक ड्रैगन वृत्र अहि है। इस राक्षस दुर्भाग्य का राक्षस माना जाता है। एक बार वृत्र अहि राक्षस ने धरती का सारा पानी पी लिया और एक पहाड़ी में जाकर छिप गया। जिसके बाद भगवान इंद्र ने ऐरावत हाथी की मदद से उस राक्षस को हराया और फिर धरती की उर्वरता और पानी को बहाल किया गया।
चकोरा-चकोरा एक ऐसा पक्षी है, जिसको चंद्रमा को काफी बड़ा भक्त माना जाता है। चकोरा पक्षी चांद की तरफ देखता रहता है। जिसके कारण उसकी गरदन तक अकड़ जाती है। कई बार वह चांद को देखते-देखते मर भी जाता है, लेकिन वह चांद को देखना बंद नहीं करता है। बताया जाता है कि चंद्रमा को चकोरा ने फलियां बनाई थीं।
मकर-बता दें कि मकर एक संरक्षक उभयचर है। जिसके मछली की पूंछ के साथ हिरन, मगरमच्छ या हाथी के चेहरे के साथ प्रस्तुत किया जाता है। प्राचीक किंवदंतियों के मुताबिक मकर समुद्र देवी वरुणा की सवारी के रूप में काम करता है।
नंदी-देवताओं ने भगवान शिव को शांत करने के लिए कामधेनु और कश्यप के पुत्र नंदी को उपहार में दिया था। सभी गायों की माता कामधेनु की कई संतानों का दूध भगवान शिव के पेट में भर जाने के कारण उनका ध्यान भंग हो गया था। जिसके कारण भगवान शिव अंत्यंत क्रोधित हो गए थे। इस कारण उन्होंने अपनी तीसरी आंख का वार सभी गायों पर कर दिया था।
नवागुंजरा-नवागुंजरा का सिऱ मुर्गे का और हाथी, बाघ और घोड़े के तीन पैर होते हैं। वहीं इसका चौथा अंग कमल पकड़े हुए एक इंसान की तरह होता है। इस प्राणी की कूबड़ ऊँट की, पूँछ साँप की, गर्दन मोर की और कमर शेर की थी। बताया जाता है कि जंगल में शिकार करते समय अर्जुन की परीक्षा लेने के लिए भगवान कृष्ण ने यह रूप धारण किया था।
इंद्रधनुष मछली-एक बड़े जलीय जीव के रूप में इंद्रधनुष मछली को परिभाषित किया गया है। इस मछली के चार रंग लाल, हरे, पीले और नीले रंग के तराजू हैं। जिनका अर्थ अग्नि, पृथ्वी, वायु और बर्फ है। बताया जाता है कि मछली ने बुद्ध को निगल लिया था। लेकिन फिर बुद्ध को बचा लिया गया तो एक साल तक मछली ने पूरे देश को भोजन उपलब्ध कराया।
शरभा-असुर राजा हिरण्यकश्यप को मारने के लिए एक बार नरसिम्हा ने शेर-मानव के रूप में अवतार लिया था। यह भगवान विष्णु का क्रोधित अवतार था। देवता ने इस अवतार को शांत करने के लिए भगवान शिव को भेजा था। जिसके बाद भगवान शिव ने नरभक्षी पक्षी, विशाल और भयावह का रूप धारण किया था। जो नरसिम्हा को खरोंच कर दूसरे देश में ले गए थे।
शेषनाग-शेषनाग के 1000 कष्टकारी भाई हुआ करते थे। जो सभी के लिए समस्याएं पैदा किया करते थे। इसलिए शेषनाग दुखी होकर हिमालय चले गए और कठोर तपस्या करने लगे। शेषनाग की तपस्या से खुश होकर भगवान ब्रह्मा ने उन्हें उनकी इच्छानुसार आध्यात्मिकता का सेवक बनने का आशीर्वाद दिया था। तब से पृथ्वी को स्थिर रखने के लिए शेषनाग उसके चारों ओर कुण्डली लगाते हैं।
वासुकी सांप-समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को भगवान शिव ने पिया था। लेकिन इस विष को पीने में सांपों ने भगवान शिव की मदद की थी। इसलिए सांपों के सम्मान में भगवान शिव ने सर्पों के राजा वासुकी को अपने गले में डाल लिया था। वासुकी सर्प भगवान शिव द्वारा पिए गए जहर को नीचे उतरने से रोकता है।