नईदिल्ली, १८ अक्टूबर।
आज का दौर तकनीक का है, रोज नई नई तकनीकें दुनिया में आ रही हैं। लेकिन यही तकनीक इंसान को परेशान करने वाली भी बन रही है। एक रिपोर्ट में पता चला कि है टेलीग्राम पर एआई-संचालित चैटबॉट का उपयोग पर लाखों उपयोगकर्ता लड़कियों और महिलाओं के डीपफेक वीडियो और फोटो बना रहे हैं और इन उपयोगकर्ताओं के निशाने पर खासतौर पर युवा लड़कियां और महिलाएं हैं। वायर्ड की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हर महीने 40 लाख तक उपयोगकर्ता इन एआई चैटबॉट्स का उपयोग डीपफेक बनाने के लिए करते हैं जो कपड़े हटाकर या यौन गतिविधि सेटकर तस्वीरों को बदल सकते हैं। इस खतरनाक प्रवृत्ति ने विशेषज्ञों के बीच इन उपकरणों से होने वाले संभावित नुकसान के बारे में चिंता बढ़ा दी है। अब विशेषज्ञ इन बातों पर जोर दे रहे हैं कि इन सब से कैसे बचा जाए।चार साल पहले एआई चैटबॉट्स की खोज करने वाले विशेषज्ञ हेनरी एजडर ने ऐसी प्रौद्योगिकियों के खतरों पर बात की। उन्होंने इन सबको एक बुरे सपने की तरह बताया और कहा कि यह वास्तव में चिंता का विषय है कि ये एप वास्तव में जीवन को बर्बाद कर रहे हैं और मुख्य रूप से युवा लड़कियों और महिलाओं के लिए एक बहुत ही खराब स्थिति पैदा हो रही है। उन्होंने ये कहा कि दुनिया में कहीं भी इस तरह के ऐप्स तक पहुंचना काफी आसान है। टेलीग्राम को लेकर किए गए वायर्ड के विश्लेषण के अनुसार एक सर्वेक्षण से पता चला है कि अमेरिका के 40 प्रतिशत छात्रों ने स्कूलों में प्रसारित होने वाले डीपफेक का सामना किया है। हॉलीवुड की टेलर स्विफ्ट और जेना ओर्टेगा जैसी मशहूर हस्तियां पहले भी डीपफेक का शिकार हो चुकी हैं।
वहीं, भारत में रस्मिका मंधाना और अमिताभ बच्चन जैसे सेलिब्रिटी डीपफेक का शिकार हो चुके हैं।एडजर ने कहा कि डीपफेक के जरिए किशोर लड़कियों को निशाना बनाए जाने की खबरें विशेष रूप से चिंताजनक हैं। इससे सेक्सटॉर्शन की घटनाएं सामने आई हैं, डीपफेक वीडियो और फोटो बनाकर वह ब्लैकमेल करता है। अपनी मैसेजिंग सेवाओं के लिए मशहूर टेलीग्राम पर प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग के कई आरोप लगे हैं। अगस्त में, कई रिपोर्टों ने सुझाव दिया कि भारत सरकार ने एक जांच शुरू की है जिसके निष्कर्षों के आधार पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।