
कोरबा। बिजली उत्पादन कंपनी ने दुर्घटना की आशंका को ध्यान में रख अपनी कोरबा पूर्व कॉलोनी के सैंकड़ों आवासों को ध्वस्त करना तय किया है। ये आवास 6 दशक पुराने बताये जा रहे है। इनमे कम्पनी के कर्मी से लेकर अवैध कब्जाधारी रह रहे है। तोडफ़ोड़ की कार्यवाही से पहले कम्पनी ने नोटिस जारी कर दिया है। एक पखवाड़े के भीतर इस दिशा में काम होगा। कोरबा पूर्व क्षेत्र में बिजली उत्पादन कम्पनी ने उन सभी आवासों को जमीदोज करने की तैयारी कर ली है है जिनकी दशा बेहद नाजुक है। ये आवास तब बने थे, जब तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 100 मेगावाट और उसके बाद सोवियत रूस के सहयोग से 240 मेगावाट क्षमता वाली बिजली परियोजना का निर्माण किया गया। बिजलीघर के अधिकारियों व कर्मचारियों की सुविधा के लिये यह कॉलोनी विकसित की गई। कालांतर में इस कालोनी में अवैध कब्जा की बाढ़ आ गई। नीतिगत रूप से कम्पनी ने सिर्फ अपने कर्मचारियों के आवासों की सुध ली। लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो सका। समय के साथ आवासों की स्थिति जर्जर हो गई। अनेक मौकों पर इनके छज्जे गिरने से लेकर दीवार और छत का हिस्सा दरकने के मामले प्रकाश में आये। ऐसे आवासों की संख्या 400 तक हो गई है। बिजलीघर प्रबंधन ने 1 वर्ष पहले आवासों को जमीदोज करने की घोषणा कर सम्बंधित को नोटिस दिया था। अब इस मामले में कार्रवाई की जानी है। एक बार फिर लोगों को नोटिस दिया गया है ताकि वे अपनी व्यवस्था करे। पूछताछ करने पर एक कर्मचारी ने कहा कि निश्चित रूप से हम अपनी व्यवस्था जरूर करेंगे जबकि अवैध रूप से काबिज लोग नोटिस नही मिलने की बात कह रहे है। लेकिन दोनों को मालूम है कि इस इलाके में रहना अब काफी असुरक्षित है। छत्तीसगढ़ इलेक्ट्रिसिटी प्रोडक्शन कंपनी की कोरबा स्थित परियोजना के कार्यपालक निदेशक डॉक्टर हेमंत सचदेवा ने बताया कि 400 से ज्यादा जर्जर आवास कुल मिलाकर समस्या बने हुए हैं। किसी भी तरह के अनहोनी से बचने के लिए इन्हें डिस्मेंटल करना है। हमारे जो कर्मचारी हैं उन्हें आवास आवंटित किए जाएंगे अन्य अपात्र लोगों की चिंता कंपनी क्यों करेगी। डॉक्टर सचदेवा ने बताया कि आवासों को डिस्मेंटल करने के लिए टेंडर की प्रक्रिया हो चुकी है कुछ औपचारिकता बची हैं। अधिकतम 10 15 दिन में अगली कार्रवाई की जाएगी। कोरबा में बिजली कंपनी के द्वारा अपने आवासों को समाप्त करने का यह निर्णय दूसरों को हैरान कर सकता है लेकिन रणनीतिक स्तर पर यह अत्यंत जरूरी भी हो गया था। कम्पनी सूत्रों का कहना है उसने अपने कर्मचारियों को सुविधा देने कॉलोनी विकसित की थी लेकिन बीते वर्षों में देखा गया कि मुफ्तखोरी की जड़ों का जाल फैलता चला गया। एक तो उसके आवास भी हाथ से निकल गए और फ्री बिजली, पानी का भार भी कम्पनी के मत्थे आ गया। ऐसे में आवासों के जर्जर होने ने एक रास्ता भी दिया। खबर है कम्पनी आगे निर्माण के साथ सुरक्षा के पहलु का खास ध्यान रखेगी, ताकि ऐसी स्थिति से बचा जा सके।