नईदिल्ली, 0४ नवंबर । ताज महल का सही इतिहास प्रकाशित करने से जुड़ी जनहित याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को निर्णय लेने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता ने बताया कि इस संबंध में एएसआई को प्रतिवेदन दिया गया था, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया। इस पर पीठ ने एएसआई को निर्देश देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया। हिंदू सेना के नेता सुरजीत सिंह यादव ने अपनी याचिका में दावा किया कि ताज महल मूल रूप से राजा मान सिंह का महल था, जिसे बाद में मुगल सम्राट शाहजहां ने पुनर्निर्मित किया था। ताज म्यूजियम नामक पुस्तक के लेखक जेडए देसाई के अनुसार मुमताज महल को दफनाने के लिए एक ऊंची और सुंदर जगह का चयन किया गया था, जो राजा मान सिंह की हवेली थी। दफनाने के समय यह मान सिंह के पोते राजा जय सिंह के कब्जे में थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस हवेली को कभी ध्वस्त नहीं किया गया था। साथ ही यह भी दावा किया कि ताज महल की वर्तमान संरचना कुछ और नहीं बल्कि राजा मान सिंह की हवेली का संशोधित और नवीनीकृत रूप है, जो पहले से मौजूद थी। याचिका में कहा गया कि एएसआई ने ताज महल पर परस्पर विरोधी और विरोधाभासी जानकारी प्रदान की है। एएसआई ने उल्लेख किया है कि वर्ष 1631 में मुमताज महल की मृत्यु के छह महीने बाद उनके शरीर को ताज महल के मुख्य मकबरे के तहखाने में स्थापित करने के लिए आगरा में स्थानांतरित कर दिया गया था। यह ताज महल के लिए उसी वेब पेज पर दी गई जानकारी के विपरीत है, जहां एएसआई ने दावा किया है कि वर्ष 1648 में स्मारक परिसर को पूरा होने में 17 साल लगे थे। ऐसे में अगर मुमताज महल की मृत्यु के छह महीने बाद उनके शरीर को ताज महल के मुख्य मकबरे के तहखाने में दफनाया गया था और ताज महल का निर्माण पूरा होने में 17 साल लगे थे तो वर्ष 1631 में उनका शव छह महीने के भीतर कैसे आया। यह तर्क दिया गया कि इसे ताज महल के मुख्य मकबरे में स्थापित किया गया था, जबकि एएसआई ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि ताज महल 1648 में बनकर तैयार हुआ था। नीतीश ने भाजपा को खुश करने के लिए हटवाया तेजस्वी का पोस्टर मुजफ्फरपुर। राजद के प्रदेश महासचिव जय शंकर यादव ने कहा है कि भाजपा को खुश करने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लग गए हैं। उनके मन में फिर कुछ न कुछ चल रहा है। शुक्रवार को मुजफ्फरपुर में एक बयान जारी कर उन्होंने मुख्यमंत्री पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि नवनियुक्त शिक्षकों के नियुक्ति पत्र वितरण को लेकर जारी सरकारी पोस्टर में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव का फोटो नहीं लगवाया गया। बिहार में आईएनडीआईए गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी के विधायक दल के नेता का फोटो नहीं लगाना भाजपा को खुश करने की बात ही लग रही है। इसके अलावा मिलर हाई स्कूल, पटना के मैदान में भाकपा की रैली में खुले मंच से नीतीश कुमार द्वारा यह कहना कि कांग्रेस पार्टी को आईएनडीआईए गठबंधन से मतलब नहीं है, यह भी भाजपा को खुश करने वाला ही बयान है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गतिविधि से राजद कार्यकर्ताओं को आभास हो रहा कि फिर वह पलटी मारेंगे। उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसे में 2024 में नरेन्द्र मोदी को हटाने का मिशन कैसे सफल होगा?