नई दिल्ली। महाराष्ट्र में भाजपा के लिए सिर दर्द खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। पहले सीएम पद के लिए महायुति में हुए खींचतान ने सुर्खियां बटोरी, अब मंत्रिमंडल के विस्तार पर सस्पेंस बन गया है। सीएम देवेंद्र फडणवीस बुधवार को दिल्ली आए।यहां उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सडक़ परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की।उधर महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे ने सीएम पद से समझौता तो कर लिया, लेकिन अब उनकी नजर गृह मंत्रालय पर है। गृह मंत्रालय किसी भी राज्य के लिए दूसरा सबसे बड़ा विभाग होता है। महाराष्ट्र पुलिस गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करती है। पिछली सरकार के दौरान जब शिंदे मुख्यमंत्री थे, तो गृह मंत्रालय देवेंद्र फडणवीस के पास था। फडणवीस तब डिप्टी सीएम थे। सूत्रों के मुताबिक, शिंदे भी अब ऐसा ही चाहते हैं। हालांकि भाजपा गृह मंत्रालय देने के पक्ष में नहीं है।शिवसेना को शहरी विकास और लोक निर्माण विभाग ऑफर किया जा सकता है। वहीं अजित पवार की एनसीपी भी फुल डिमांड मोड में है। एनसीपी चाहती है कि मंत्रिमंडल विस्तार में उसे भी शिवसेना के बराबरी के मंत्रालय दिए जाएं। सूत्र कहते हैं कि अजित पवार के पास पहले वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी थी और वह इस बार फिर से इस मंत्रालय के लिए अड़े हैं। भाजपा के लिए समस्या यह है कि वित्त मंत्रालय के लिए शिवसेना ने भी दावेदारी ठोक दी है।मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा को 22, शिवेसना को 12 और एनसीपी को 9 मंत्रालय दिए जा सकते हैं। संभावना जताई जा रही है कि महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार 14 दिसंबर को हो सकता है।मंत्रालयों पर मंत्रणा के लिए देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार बुधवार को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे। हालांकि कहा जा रहा है कि इस मीटिंग में एकनाथ शिंदे मौजूद नहीं रहेंगे।288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा के 132 विधायक जीते हैं। वहीं शिवसेना ने 57 और एनसीपी ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की है। भाजपा ने 149 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जबकि शिवसेना ने 81 और एनसीपी ने 59 सीटों पर चुनाव लड़ा था।