पोड़ी उपरोड़ा उपार्जन केंद्र में केवल चार हमाल के भरोसे व्यवस्था, बनी हैं चुनौतियां
कोरबा। समर्थन मूल्य पर धान का विक्रय करने के लिए भले ही सरकार ने व्यवस्था कुछ और बनाई हो लेकिन पोड़ी उपरोड़ा उपार्जन केंद्र में धान उत्पादकों को एक प्रकार से श्रमिक की भूमिका भी निभानी पड़ रही है। वे यहां धान लाने के बाद उसे अगली प्रक्रिया में शामिल करते हुए खुद ही तौल करते हैं। कारण यह है कि समिति प्रबंधक ने गिनती के चार हमाल रखे हैं। ऐसा करने से समिति के पैसे तो बच रहे हैं लेकिन किसानों को अपनी ऊर्जा लगानी पड़ रही है।
जिले में धान खरीदी की प्रक्रिया तेजी से बढ़ रही है। जहाँ समय समय पर कलेक्टर अजित वसंत के निर्देश पर प्रत्येक धान खरीदी केन्द्रो पर नजर रखी जा रही है। समस्या का समाधान भी त्वरित गति से करने के दावे किए जा रहे हैं ताकि किसान अपनी धान सरलता से बिक्री कर सके। इन सबसे अलग पोड़ी उपरोड़ा उपार्जन केंद्र में पंजीकृत किसान परेशान नजर आ रहे हैं। मीडिया को इस तरफ नजर दौड़ाने पर मालूम हुआ कि 25000 क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य इस समिति को मिला है। इस अनुपात में धान खरीदी केंद्र मे महज 4 हमाल रखे गए हैं। ऐसी स्थिति में कामकाज प्रभावित होना स्वाभाविक है। किसानों ने बताय कि पोड़ी उपरोड़ा में यह समस्या हर साल होती है जिसके कारण किसान खुद ही लेबर लेकर आते हैं और यहां मंडी के सारे कार्य करते हैं। किसानों ने बताया ट्रेक्टर से धान उतार कर बारदाना मे भरते हैं। उसके बाद खुद ही तौल करते हैं। यही नहीं, तौल करने के बाद बारदानों को कंधे पर उठाकर छल्ली भी लगाते हैं। किसानों का कहना है कि अब चूंकि उत्पाद हमारा है और समस्या उपार्जन समिति की है। ऐसे में हमें अपना सिरदर्द कम करने के लिए श्रम करना पड़ रहा है।
हमारा काम केवल धान उठाव कराना
धान खरीदी केंद्रों से संबंधित व्यवस्था और क्रियान्वयन को लेकर जिला सहकारी बैंक और पंजीयक सहकारी समितियां ही बेहतर ढंग से बता सकती हैं। मार्कफेड का काम उपार्जन केंद्रों में किसानों के द्वारा बिक्री किए गए उत्पाद का मिलर्स के माध्यम से उठाव कराना और उसे निश्चित जगह तक भिजवाने का है।
– जान्हवी जिलहरे, डीएमओ मार्कफेड
संकरे रास्ते से समस्या
पोड़ी उपरोड़ा उपार्जन केंद्र तक जाने वाला रास्ता संकरा है। एक वाहन के खड़े होने पर दूसरे वाहन का आना मुश्किल होता है। जो कुछ जानकारी है, उसके हिसाब से हाल में ही धान लेकर किसान पहुंचा था। उस दिन कुछ हमाल नहीं आए थे और चार लोग मौजूद थे। किसान ने इंतजार करने से मना किया और खुद होकर काम किया। हम हमालों की संख्या अब 6 कर रहे हैं।
– मणीशंकर मिश्रा, पर्यवेक्षक पोड़ी उपरोड़ा