नर्सिंग स्टॉफ और सिविल सर्जन के बीच खराब हो रहे रिश्ते, आरोपों के चक्कर में मरीज परेशान

जांजगीर। जिला अस्पताल में सिविल सर्जन व डॉक्टरों के बीच विवाद शुरू हो गया है। डॉक्टर व अन्य कर्मचारियों ने एकजुट होकर सिविल सर्जन को हटाने शिकायत कलेक्टर से की है। अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों ने सिविल सर्जन डॉ. दीपक जायसवाल पर एक सीनियर नर्स से दुव्र्यवहार करने सहित कर्मचारियों को प्रताडि़त करने के कई आरोप लगाए हैं। सिविल सर्जन व स्टॉफ के बीच ओर रहे विवाद का असर मरीजों पर पड़ा। ओपीडी बंद होने के कारण अस्पताल में आने वाले 500 से अधिक मरीजों को भटकना पड़ा।
जिला अस्पताल में डॉक्टरों सहित 150 कर्मचारी काम करते हैं। करीब तीन माह पहले सूरजपुर से डॉ. दीपक जायसवाल का ट्रांसफर हुआ था। अभी डॉक्टर को आए तीन माह ही हुए है कि यहां विवाद शुरू हो गया है। डॉक्टरों ने बताया कि नर्स सलोनी बोस सुबह 10 से 11 बजे के बीच अस्पताल में अपना काम कर रही थीं। तभी डॉ. दीपक वहां पहुंचे और नर्स को काम को लेकर दुव्र्यवहार किया। उनका ट्रांसफर करने सीआर खराब करने धमकाने लगे। सिविल सर्जन की बातों को सुनकर नर्स रोने लगीं। इधर, इसकी जानकारी मिली तो अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टर व अन्य मेडिकल कर्मचारियों का गुस्सा फूट गया। डॉक्टरों ने सबसे पहले विरोध में ओपीडी का काम पूरी तरह से बंद कर दिया। शिकायत मिलते ही कलेक्टर ने मामले में जांच टीम बनाई है। जांच दल के अध्यक्ष अपर कलेक्टर ज्ञानेन्द्र सिंह को बनाया गया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी स्वाति वंदना सिसोदिया एवं डिप्टी कलेक्टर भावना साहू को सदस्य बनाया है। जांच दल द्वारा मामले की वस्तु स्थिति और दस्तावेजों का परीक्षण कर विस्तृत जांच करते कर प्रतिवेदन तैयार करने कहा गया है।
तीन घंटे प्रदर्शन करने के बाद उद्यान में बैठकर बनाई रणनीति डॉक्टरों ने कलेक्टर से सिविल सर्जन के खिलाफ कार्रवाई करने व उन्हें हटाने की मांग की। आक्रोशित डाक्टरों ने कलेक्टोरेट में तीन घंटे तक प्रदर्शन किया। उन्होंने वसुंधरा उद्यान में बैठक कर सिविल सर्जन को हटाने के लिए आगे की रणनीति बनाई है। जिले में ऐसा पहली बार हुआ है कि डॉक्टरों ने सिविल सर्जन के खिलाफ इस तरह से विरोध प्रदर्शन किया। यहां सिविल सर्जन से प्रताडि़त बीडीएम अस्पताल चांपा के कर्मचारी भी का विरोध शामिल होने के लिए कलेक्ट्रेट पहुंच गए थे।
डॉक्टरों ने अस्पताल में मृत्यु दर बढऩे का भी लगाया आरोप नाम न छापने की शर्त पर डॉक्टर व स्टाफ ने बताया कि जिला अस्पताल में गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों को रेफर करने नहीं दिया जा रहा है। प्रतिदिन यहां चार से पांच लोगों की मौत हो रही है। औसत हर माह 150 से अधिक लोगों की जान जा रही है। डॉक्टरों ने सिविल सर्जन पर यह भी आरोप लगाया कि अस्पताल रिनोवेशन में मनमानी की जा रही है। रिनोवेशन होने के कारण मरीजों को परेशानी होती है। कुछ दिनों से ऑपरेशन से डिलीवरी केस को लेना बंद कर दिया था। कई सुविधाओं पर मरीजों से शुल्क लिया जा रहा है, ये सुविधा लोगों को निशुल्क दी जाती थी।
रात में महिला स्टाफ की लगा रहे ड्यूटी, सुरक्षा की चिंता सिविल सर्जन द्वारा रात में महिला कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जा रही है। कर्मचारियों ने बताया कि रात में लेडी कंप्यूटर ऑपरेटर की ड्यूटी लगाई जा रही है। रात के समय सुरक्षा की व्यवस्था अस्पताल में नहीं होती है। इस दौरान कई प्रकार केस आते है। अक्सर लोग गाली गलौज करने लग जाते हैं। इससे डर बना रहता है।

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