सीताराम नायक
जिला पंचायत एवं जनपद पंचायतो में बीजेपी तथा निर्दलीयों का कब्जा
नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में कांग्रेस का हो रहा बेड़ा गर्ग

जांजगीर चांपा। विधानसभा चुनाव के दौरान जांजगीर चांपा लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी ने जिस तरह एक तरफा जीत हासिल की थीं जिसके चलते जांजगीर चांपा लोकसभा के सभी 8 विधानसभा में कांग्रेस के विधायक चुनकर आए थे और बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया था लेकिन विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव, नगरी निकाय एवं पंचायत चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई है प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष डॉ.चरण दास महंत के नेतृत्व में पूरा चुनाव लड़ा गया लेकिन नेता प्रतिपक्ष के ही क्षेत्र में कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई,और कांग्रेस पार्टी को पूरी तरह से पराजय का सामना करना पड़ा।अब जब जिले में बीजेपी के एक भी विधायक नहीं है बावजूद इसके जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत क्षेत्र से लेकर नगरी निकाय में बीजेपी ने अपना कब्जा जमा लिया है।
इन 1 वर्षों में बीजेपी ने ऐसा क्या किया कि लोकतंत्र का हवा इसके पक्ष में हो गया है यह बीजेपी की ठोस रणनीति का नतीजा है या फिर प्रदेश के कांग्रेस नेताओं की राजनीतिक नेतृत्व के कमी है इसे कांग्रेस पार्टी को विचार करने की जरूरत है। अब तक देखा यह जाता रहा है की छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े कांग्रेस नेता डॉ.चरणदास महंत केवल सत्ता की राजनीति में अधिक रुचि लेते रहे हैं तथा जिन्हें संगठन को मजबूत करने का जरा भी अनुभव नहीं है नतीजा यह है कि उनके अपने विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से पराजय हो गई है जहां एक तरह से उनके घर माने जाने वाले नगर पंचायत बाराद्वार में भाजपा ने जीत दर्ज कर कब्जा की है तो वही सक्ति नगर पालिका परिषद में निर्दलीय प्रत्याशी ने चुनाव जीत कर कांग्रेस को काफी पीछे छोड़ दिया है।
इस परिणाम से कांग्रेस पार्टी और उनके नेता की कमजोर नेतृत्व क्षमता होना उजागर हो गया है। क्षेत्रीय विधायक एवं नेता प्रतिपक्ष डॉ.चरण दास महंत खुद प्रदेश के बड़े नेता होने के बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी को नगर पंचायत चुनाव में नहीं जीता पाए जिनके नेतृत्व के आगे एक अदना सा निर्दलीय प्रत्याशी ने चुनाव जीत कर उनको उनकी कद बता दी है।
लोकसभा के आठ विधानसभा में कांग्रेस के 8 विधायक होने के बाद अपने विधानसभा क्षेत्र मे लाज नहीं बचा पाए यह कमजोर नेतृत्व का ही परिणाम है। कांग्रेस पार्टी में संगठनात्मक एकता नहीं होने के कारण निकाय एवं पंचायत चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई। ज्यादातर जिला पंचायत एवं जनपद पंचायत क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी ने अपना प्रत्याशियों का नाम घोषित नहीं कर सकी । क्योंकि कांग्रेस पार्टी में एकता की कमी के कारण एक ही क्षेत्र से उनके अनेक नेता चुनाव लड़ रहे थे जिसके कारण पार्टी को प्रत्याशी घोषित करने में परेशानी हुई और यही हार का कारण भी बनते चले गया। क्योंकि संगठन का डंडा कांग्रेस पार्टी में चला होता तो यह दुर्गति देखने को नहीं मिलती। नतीजा बीजेपी को आसानी से वाक ओवर मिल गया।
इस जिले में निर्दलीयों से भी खराब स्थिति कांग्रेस पार्टी की है। नगरी निकाय एवं पंचायत चुनाव में भाजपा की जो जीत हुई है इससे कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह एवं जोश देखा जा रहा है। अब भाजपा इसी मजबूती के साथ आगे बढ़ेगी और अपने कार्यकर्ताओं एवं जनता के बीच अपनी पकड़ बनाएगी। सरकार की योजना को लेकर हर घर तक पहुंचेगी,जिससे कांग्रेस का कमजोर होना तय है। नगरी निकाय एवं पंचायत चुनाव के दौरान नेता प्रतिपक्ष डॉ.चरणदास महंत के नेतृत्व जिले के विधायकों में एकजुटता दिखाई नहीं दिया. सब अलग-अलग दिखाई दिए, नेता प्रतिपक्ष ने भी अपने विधायकों को एकजुट करने में कोई दिलचस्पी नही दिखाई, न हीं कार्यकर्ताओं को एकत्र करने में अपनी ताकत लगाई, जिसके चलते पूरे जिले में कांग्रेस बिखरा हुआ नजर आया जिसका परिणाम निकाय एवं पंचायत चुनाव में दिखा।
सच कहा जाए तो डॉ.चरण दास महंत में नेता प्रतिपक्ष का गुण जरा भी नजर नहीं आता। जो नेता प्रतिपक्ष को मिलने वाली सुविधाओं का लाभ लेने के लिए इस पद पर आसीन हो गए हैं परंतु कांग्रेस पार्टी को इसका लाभ जरा भी नहीं मिल रहा है। उनके स्थान पर किसी अन्य नेता को अगर जिम्मेदारी दी जाए तो वह भाजपा सरकार की कारगुज़ारियों को प्रमुखता से जनता के बीच रख सकते हैं। जबकि नेता प्रतिपक्ष होने के बाद भी प्रदेश के बड़े-बड़े मुद्दों पर चरण दास महंत चुप नजर आते हैं।