कोरबा। एसईसीएल गेवरा एरिया से प्रभावित ग्राम अमगांव के ग्रामीणों ने पानी की भीषण समस्या से आक्रोशित होकर गांव में ही हडिय़ा बर्तन लेकर घंटों प्रदर्शन करते हुए एसईसीएल प्रबंधन से जल की विकराल समस्या से निदान करने की मांग की है, और मांग पूरी नहीं होने पर एसईसीएल के मुख्य कार्यालय पर हडिय़ा बर्तन मटकी लेकर प्रदर्शन करने की घोषणा की है।
अप्रैल माह में पारा 42 डिग्री तापमान हो गई है जबकि मई-जून माह अभी पूरा समय बचा हुआ है एसईसीएल गेवरा दीपका के उत्पादन क्षमता पर्यावरण से स्वीकृति होने के बाद लगातार खदान का विस्तार किया जा रहा है, और इन खदानों के वजह से क्षेत्र के प्रभावित ग्रामों में जल की समस्या विकराल हो गई है। जैसे-जैसे खदान का विस्तार व उत्पादन किया जा रहा है वैसे-वैसे जल का स्रोत खत्म हो गया है। शुद्ध पेयजल व निस्तारी के लिए ग्रामीणों में भयंकर समस्या बनी हुई है। जबकि इसके लिए एसईसीएल के द्वारा प्रतिवर्ष लाखों करोड़ों का टेंडर किया जाता है, जो कि उस एरिया के प्रभावित ग्रामों में शुद्ध पेयजल व निस्तारी मुहैया करने में असमर्थ साबित हो रही है। इस वजह से ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल व निस्तारी की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। जिसके कारण ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।
ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के अमगांव ग्राम इकाई संयोजक अमृता यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि अमगांव पंचायत को एसईसीएल गेवरा के द्वारा अर्जन किया गया है। गेवरा के ही द्वारा एसईसीएल दीपका को खनन कार्य के लिए दिया गया है। पानी की मांग को लेकर पिछले दिनों एसईसीएल गेवरा सभागार में प्रबंधन के अधिकारियों के साथ बैठक संपन्न हुई थी। जिसमें प्रबंधन ने पानी की उत्तम व्यवस्था करने की बात कही थी। लेकिन अब अपने बातों से मुकर रहे हैं और कह रहे हैं कि अमगांव पंचायत को पानी दीपका प्रबंधन व्यवस्था करेगी। अब यहां यह समझ नहीं आ रहा है कि अर्जन करने वाला एरिया पानी देगा या खनन कार्य कर रहे है वो देगा। उन्होंने आगे कहा हर साल लाखों करोड़ों का शुद्ध पेयजल व निस्तारी के लिए टेंडर किया जाता है। लेकिन अमगांव पंचायत सहित प्रभावित ग्रामों में पानी की व्यवस्था ठीक से नहीं हो पाती है। ग्रामीणों का कहना हैं की आज गांव के ही अंदर हडिय़ा बर्तन लेकर घंटों प्रदर्शन किये हैं मांग पूरी नहीं हुई तो एसईसीएल सीजीएम मुख्य कार्यालय के सामने हडिय़ा, बर्तन, मटकी लेकर बैठने की तैयारी करेंगे।