कोरबा। कोरबा शहर व उपनगरीय क्षेत्रों में प्रस्तावित अंडर ब्रिज अथवा निर्माणाधीन ओव्हर ब्रिज मार्ग से प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा का भुगतान एवं व्यवस्थापन का समुचित प्रबंध किए जाने के संबंध में पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कलेक्टर कोरबा को पत्र लिखते हुए उसकी प्रतिलिपि पुलिस अधीक्षक और आयुक्त नगर निगम कोरबा को प्रेषित किया है। जयसिंह अग्रवाल ने पत्र में लिखा है कि एस.ई.सी.एल. द्वारा संचालित खदानों से जुड़े क्षेत्र गेवरा, कुसमुण्डा एवं दीपका में ओव्हर ब्रिज का निर्माण कार्य जारी है। क्षेत्र के निवासियों ने संपर्क कर अवगत कराया है कि ओव्हर ब्रिज का निर्माण कार्य आरंभ किए जाने से उनके सामने इस कडाके की ठंड में व्यवस्थापन की समस्या उत्पन्न हो गई है और उनके आवास निर्माणाधीन ओव्हर ब्रिज की जद में आने की वजह से उन्हें वहां से हटने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है एवं उन्हें मुआवजे का भुगतान भी नहीं किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ सुनालिया पुल मार्ग से रेलवे स्टेशन जाने वाले मार्ग पर पडऩे वाले रेलवे क्रॉसिंग के दोनों तरफ की नजदीकी बस्ती के निवासियों को वहां बनाए जाने वाले अण्डर ब्रिज की वजह से विस्थापित किया जा रहा है। सुनालिया रेलवे क्रॉसिंग के पास बनाए जाने वाले अण्डर ब्रिज मार्ग से प्रभावित होने वाले निवासियों को तत्काल वहां से हटाने का निर्देश जिला प्रशासन द्वारा जारी किया गया है और संबंधित विभागों द्वारा मकान खाली करवाकर तोडऩे का कार्य भी आरंभ किया जा चुका है।
पत्र में जयसिंह अगवाल ने आगे लिखा गया है कि वर्तमान समय में कड़ाके की ठंड पड़ रही है और ऐसी स्थिति में मानवीय पक्ष को ध्यान में रखते हुए उन्हें आवास खाली कर अन्य वैकल्पिक व्यवस्था बनाने के लिए न्यूनतम 15 दिनों का समय दिया जाना उचित होगा। उसी क्षेत्र में अनेक लोग ऐसे भी हैं जो अपने आवास के सामने जीविकोपार्जन के लिए छोटी-मोटी दुकान का संचालन भी कर रहे हैं। पन्द्रह दिनों की अवधि की मोहलत दिए जाने पर उन्हें भी अपना सामान हटाने का अवसर मिल जाएगा और टूट-फूट के संभावित नुकसान से भी वे बच सकेंगे। जयसिंह अग्रवाल ने आगे लिखा है कि उक्त मार्गों के निर्माण से प्रभावित परिवारों के हित में आवश्यक होगा कि कुसमुण्डा व दीपका क्षेत्र में निर्माणाधीन ओव्हर ब्रिज से प्रभावित परिवारों को भी समुचित मुआवजा भुगतान कराया जाए और प्रस्तावित अंडर ब्रिज प्रभावित निवासियों से कम मुआवजा भुगतान संबंधी प्राप्त शिकायतों को संज्ञान में लेकर जिला प्रशासन द्वारा विचार अवश्य किया जाना चाहिए। इस तरह के निर्माण कार्यों से प्रभावित होने वाले परिवारों को विस्थापित किए जाने से पूर्व जिला प्रशासन द्वारा उचित व्यवस्थापन की व्यवस्था भी किया जाना आवश्यक है।