बेंगलुरु। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहे भारत की सरकारी और निजी क्षेत्र की कंपनियां कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। इसकी मिसाल रविवार को उस समय देखने को मिली जब पहली बार एक प्राइवेट कंपनी अल्फा टोकोल इंजीनियरिंग सर्विसेज ने हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) एमके1ए का पिछला हिस्सा या रियर फ्यूजलेज तैयार कर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को सौंप दिया।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे भारत के रक्षा विनिर्माण की ऐतिहासिक यात्रा में मील का पत्थर बताया है। फ्यूजलेज, विमान का मुख्य हिस्सा होता है, जबकि रियर फ्यूजलेज टेल सेक्शन और उससे जुड़े कलपुर्जों को सहारा देता है।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में एचएएल के विमान प्रभाग में अल्फा टोकोल इंजीनियरिंग सर्विसेज ने एमके1ए का पिछला हिस्सा सौंपा। रक्षा मंत्री ने कहा, यह रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की प्रगति और सार्वजनिक-निजी भागीदारी बढ़ाने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।रक्षा मंत्री ने एचएएल को देश के रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र का फ्यूजलेज बताया, जिसके साथ एलएंडटी, अल्फा टोकोल, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स और वीईएम टेक्नोलॉजीज जैसी प्राइवेट कंपनियां रियर फ्यूजलेज की भूमिका निभा कर एचएएल को मजबूत कर रही हैं।रक्षा मंत्री ने कहा, इन भारतीय कलपुर्जों के साथ हमारे रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में निर्मित होने वाले विमान आने वाले समय में और अधिक ऊंचाइयां छुएंगे। रक्षा मंत्री ने कहा, हमारे साहसी वायु योद्धा देश के लिए अमूल्य योगदान दे रहे हैं, वहीं स्वदेशी उपकरण उन्हें अतिरिक्त ताकत दे रहे हैं, जिसके साथ वे हमारी सीमाओं की रक्षा करते हैं। उन्होंने भरोसा जताया कि एचएएल और निजी क्षेत्र हर चुनौती को पार करते हुए सशस्त्र बलों को हर तरह से मजबूत करेंगे।
एचएएल ने 83 एलसीए एमके1ए के लिए प्रमुख मॉड्यूल की आपूर्ति के लिए एलएंडटी, अल्फा टोकोल इंजीनियरिंग सर्विसेज, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल), वीईएम टेक्नोलॉजीज और लक्ष्मी मिशन व?र्क्स (एलएमडब्ल्यू) जैसी विभिन्न भारतीय प्राइवेट कंपनियों को ऑर्डर दिए थे। एचएएल ने पहले ही 12 एलसीए एमके1ए रियर फ्यूजलेज बना लिया है।