नईदिल्ली, 0७ सितम्बर । जी-20 शिखर सम्मेलन के अतिथियों को राष्ट्रपति की ओर से भेजे गए रात्रिभोज के निमंत्रण पत्र पर प्रेसिडेंट आफ भारत लिखने के बाद विपक्षी दलों की टिप्पणियों के लिए उन पर निशाना साधते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा,विदेश मंत्री जयशंकर ने एक साक्षात्कार में कहा कि भारत शब्द का अभिप्राय संविधान में प्रतिबंबित भी होता है। उनसे इस संदर्भ में विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया के बारे में सवाल किया गया था और यह भी पूछा गया था कि क्या सरकार जी-20 शिखर सम्मेलन के जरिये भारत को इंडिया की जगह प्रतिस्थापित करने जा रही है। देश के विभिन्न हिस्सों में जी-20 कार्यक्रमों के आयोजन के सरकार के प्रयासों के बारे में जयशंकर ने कहा,यह जरूरी है कि आज का भारत बेहतर वैश्विक जागरूकता विकसित करे। ऐसा इसलिए किया गया ताकि विभिन्न शहर, विभिन्न राज्य, विभिन्न पेशेवर और पीढिय़ां एक तरह की हिस्सेदारी महसूस करें और यह सिर्फ जी-20 तक सीमित नहीं है।उन्होंने कहा कि यह एक अलग दुनिया है, एक अलग भारत है। यह एक अलग प्रधानमंत्री हैं। यह एक अलग सरकार है। और इसीलिए आप वह सब देख रहे हैं जो आपने अतीत में नहीं देखा।जी-20 शिखर सम्मेलन पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के छा जाने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने आश्वस्त किया कि सब कुछ सुचारू रूप से होगा। उन्होंने कहा,हम भारत हैं। हम जानते हैं कि दुनिया को कैसे संभालना है। भरोसा करें, पिछले 10 वर्षों में हमने दिखाया है कि हम दुनिया को कैसे संभाल सकते हैं।विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया बदल रही है और जी-20 अपने आप में इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। एक समय था जब हमने सब कुछ जी-7 पर छोड़ दिया था, आज जी-20 को प्रमुख वैश्विक मंच के तौर पर देखा जाता है । पिछले वर्ष के बारे में सोचिए। जी-20 की तुलना नाटो, एससीओ, ब्रिक्स, क्वाड और संयुक्त राष्ट्र की बैठकों से कीजिए, किसी पर भी जी-20 जैसा ध्यान नहीं दिया गया क्योंकि दुनिया आज इस बैठक को असाधारण महत्व देती है। भारत का झुकाव अमेरिका की ओर बढऩे के दावों को खारिज करते हुए जयशंकर ने कहा कि मुझे लगता है कि बहुत सारे देश भारत को विकासशील देश के रूप में पहचानते हैं। बहुत से देश भारत को लोकतंत्र के तौर पर पहचानते हैं। कई सारे देश भारत को बहुलतावादी देश मानते हैं। हमारी कई संस्थागत सांस्कृतिक समानताएं हैंविदेश मंत्री ने कहा कि कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंध बेहद प्रतिस्पर्धी कवायद है। लेकिन कूटनीति में भी ऐसे अवसर आते हैं जब प्रतिस्पर्धी होना होता है। कई अवसरों पर आपको सहयोगात्मक होना होता है। जी-20 बेहद सहयोगी मंच है। जी-20 में कई मुद्दों पर गहरे मतभेद रखने वाले देश ऐसी चीज तलाशते हैं जो उन्हें साथ ला सके।जी-20 में भारत के ग्लोबल साउथ की आवाज बनने के बारे में जयशंकर ने कहा कि किसी और की अध्यक्षता में ऐसे विकासशील देशों को एकसाथ लाने का प्रयास नहीं किया गया, जो वार्ता की मेज पर नहीं हैं और उनसे कहे कि आइए हमारे साथ बैठकर अपनी चिंताओं के बारे में बताइए। भारत उनकी चिंताओं को जी-20 के समक्ष रखेगा। यह एक अनोखी कवायद है। इस बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत की एक विशेष जिम्मेदारी है।उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि जी-20 देश भी अन्य देशों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझेंगे। दिशा तय करने के लिए दुनिया के अन्य 180 देश उनकी ओर देख रहे हैं और वे उन्हें निराश नहीं कर सकते।यह पूछे जाने पर कि क्या रूस-चीन का गठबंधन अन्य देशों पर बड़ा प्रभाव डाल रहा है, जयशंकर ने कहा कि दुनिया आज कहीं ज्यादा बहुपक्षीय और जटिल है। इसलिए दुनिया को परस्पर विरोधी या इस खेमे या उस खेमे में न देखें। वह यह भी नहीं कह रहे हैं कि देश पक्षपात नहीं करते और उनके अपने संबंध नहीं होते। जयशंकर ने कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की अनुपस्थिति का कोई असर नहीं पड़ेगा। जी-20 में अलग-अलग समय पर कुछ ऐसे राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री रहे हैं जिन्होंने किसी कारण से स्वयं नहीं आने का फैसला किया था।उन्होंने कहा कि सम्मेलन में किसी भी देश का रुख उसका प्रतिनिधित्व करने वाले से प्रदर्शित होता है। विदेश मंत्री ने कहा कि सभी देशों के शेरपा एक दूसरे के संपर्क में हैं और अंतिम दस्तावेज तैयार करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि हर कोई बेहद गंभीरता के साथ आ रहा है।