
सांबा, १९ नवंबर । पापा ने नक्सलियों का क्या बिगाड़ा था, जो उन्हें मार दिया। पापा ने दीवाली पर घर आने की बात कही थी और वादा किया था कि खूब सारे पटाखे और खिलौने लेकर दूंगा, परंतु उन्हें छुट्टी नहीं मिली। अब मैं किसके साथ खेलूंगा। कक्षा चौथी में पडऩे वाला बलिदानी आईटीबीपी जवान जोगिंदर कुमार का नौ वर्षीय बेटा अंशुमन रो-रोकर अपने घर आने वालों से बार-बार यही सवाल पूछ रहा है, लेकिन इस मासूम के सवालों का जवाब किसी के पास नहीं। वह मासूम यह भी नहीं जानता कि नक्सली कौन हैं। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में शुक्रवार को एक मतदान केंद्र से वापस आते समय नक्सलियों द्वारा जंगल में लगाई गई आईईडी पर जोगिंदर का पैर पडऩे से हुए धमाके में वह मौके पर ही बलिदान हो गए थे।जोगिंदर जम्मू संभाग के सांबा जिले के सीमावर्ती पंचायत सदोह के गांव अबताल कातलां के रहने वाले हैं। शुक्रवार रात की जोगिंदर के बलिदान होने की सूचना मिलने पर पूरा गांव स्वजन को ढांढस बांधने पहुंच गया था। शनिवार को भी दिनभर बलिदानी के घर में स्थानीय लोगों के साथ रिश्तेदारों का जमावड़ा लगा रहा। जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री सरदार मंजीत सिंह ने भी बलिदानी के घर जाकर परिवार को सांत्वना दी। बलिदानी की पत्नी रेखा देवी का भी रो रोकर बुरा हाल है। वह बार-बार बेसुध हो रही है और रिश्तेदार उसे दिलासा दे रहे हैं। बलिदानी की माता सरुति देवी का भी बुरा हाल है। वह बार-बार यही कह रही थीं कि हे भगवान मेरे लाल को तुम्ने कहा छिपा लिया। बलिदानी जोगिंदर वर्ष 2000 में आईटीबीपी में भर्ती हुए थे।बलिदानी के पिता दिलीप कुमार ने कहा कि हमें गर्व है कि हमारा बेटा देश के काम आया है और वह बलिदान हुआ है, मगर अफसोस यह है कि देश की भीतरी लड़ाई का शिकार हुआ है। पिछले कई वर्षों से नक्सली अपना आंतक मचाए हुए हैं और कई सरकारें आकर चली गई लेकिन इस नक्सली समस्या का समाधान नहीं हुआ। हमारी मांग इतनी ही है कि कम से कम देश की भीतरी लड़ाई का समाधान जल्द से जल्द किया जाना चाहिए, ताकि जवानों का बलिदान व्यर्थ न जाए। बलिदानी जोगिंदर का पार्थिव शरीर देर शाम हवाई मार्ग से जम्मू एयरपोर्ट पहुंचा। जहां से उन्हें सड़क मार्ग से रात को सांबा लाया गया। जहां पहले ही सांबा के मुख्य चौक में हजारों लोग तिरंगे लहराकर जोगिंदर कुमार अमर रहें और भारत माता की जय के जयघोष लगा रहे थे।रात को जब पार्थिव शरीर सांबा पहुंचा तो वाहनों के काफिले के साथ बलिदानी के गांव अबताल कातलां तक 14 किलोमीटर तिरंगा यात्रा निकाली गई। रविवार को बलिदानी का अंतिम संस्कार उनके गांव में किया जाएगा।