
कैम्प लगाकर स्थिति पर नजर, डायरिया जैसा कोई मामला नहीं
कोरबा। बदले मौसम में स्वास्थ के समक्ष कई चुनौतियां होती है। इसके नतीजे भी खतरनाक आते हैं। इधर विकासखंड कोरबा के रिमोट एरिया में हाल में ही हुई दो मौतों को लेकर यह तथ्य आया है कि बुखार, पीलिया और लीवर फैल्योवर प्रमुख कारण रहा। शार्ट पीएम रिपोर्ट में डॉक्टर ने ऐसा अभिमत दिया है। इससे पहले विभाग की ओर से मैदानी क्षेत्र में पहुंचकर संबंधित पड़ताल की गई। इसे प्रशासन ने संतोषजनक बताया।
अब तक की स्थिति के आधार पर स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि विकासखंड कोरबा में डायरिया जैसा कोई मामला नहीं है, ना ही इस तरह की शिकायतें है। यह बात जरूर है कि जिन क्षेत्रों में अचानक तबियत बिगडऩे जैसी सूचनाए प्राप्त हुई उसे गंभीरता से लिया गया है। बीएमओ डॉ.दीपक राज ने बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में एक बार फिर टीम भेजी गई है। जबकि संबंधित क्षेत्र का स्वास्थ्य अमला खुद भी काम पर लगा है। लगातार वहां के हालात पर नजर रखने के साथ वे सभी प्रयास किये जा रहे हैं, जो इस दौर में जरूरी हो सकते हैं। स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ी शर्त क्या है,इसके लिए ग्रामीणों को सलाह देने के साथ आवश्यक दवाई उपलब्ध करायी गई है। इससे पहले प्रशासन के निर्देश पर गुरमा और लबेद क्षेत्र में स्वास्थ टीम को भेजकर शिविर लगाया गया, जहां बीमारी के कारण कु.बिमला एवं कु.मंगला नामक बालिकाओं की मौत हो गई। बताया गया कि इन दोनों मामलों में मृतकों को बुखार व पीलिया की शिकायत थी। हालत बिगडऩे पर परिजनों के द्वारा शुरूआती दौर में स्वास्थ्य टीम को अवगत नहीं कराया गया। आपात स्थिति में एम्बुलेंस के माध्यम से उन्हें मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल भिजवाया गया, रास्ते में उनकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डॉक्टर ने बताया -मौत की वजह पीलिया के प्रभाव से लीवर का निष्क्रिय होना है।
73 ग्रामीणों का परीक्षण
कई तरह की आशंकाओं के बीच स्वास्थ्य विभाग ने अग्रिम जांच का निर्णय लिया। इसके अंतर्गत कैम्प लगाए गए। बलीपुर में 30 मरीजों की जांच की गई। इनमें से दो मलेरिया पीएफ मिले। धौराबारी में ४३ मरीजों की जांच में सर्दी खांसी के सामान्य लक्ष्ण 12 लोगों में मिले। सीएमएचओ ने बताया कि प्रभावित मरीजों को जरूरी सेवा दी जा रही है। मैदानी अमले को अपने क्षेत्र में एक्टिव रहने को कहा गया है।