वाशिंगटन, २५ जुलाई [एजेंसी]।
इजरायल की संसद में सोमवार को विवादास्पद न्यायिक सुधार बिल को कानून का रूप दे दिया गया। इस विधेयक को पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के सत्तारूढ़ कट्टर दक्षिणपंथी गठबंधन के सभी 64 सांसदों ने मंजूरी दी है। दूसरी ओर विपक्षी सांसदों ने इसका बहिष्कार किया है। वहीं, इस बिल के पास होने पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसको दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। इस मामले पर व्हाइट हाउस ने एक बयान जारी कर कहा कि इजरायली संसद के वोट से सुप्रीम कोर्ट की कुछ शक्तियां छीनना दुर्भाग्यपूर्ण है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन-पियरे ने एक बयान जारी किया। बयान के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि लोकतंत्र में बड़े बदलावों को स्थायी बनाने के लिए यथासंभव व्यापक सहमति होनी चाहिए। चिव कैरिन जीन-पियरे ने कहा कि अमेरिका इजरायल के राष्ट्रपति हर्जोग और अन्य इजरायली नेताओं के प्रयासों का समर्थन करना जारी रखेगा क्योंकि वे राजनीतिक बातचीत के माध्यम से व्यापक सहमति बनाना चाहते हैं।मालूम हो कि इस विवादास्पद कानून के खिलाफ इजराइल में साल की शुरुआत यानी पिछले सात महीने से ही विरोध हो रहा है। विरोध करने वालों का दावा है कि यह कानून इजरायल में न्यायपालिका के अधिकार को सीमित कर देगा और सारी शक्तियां सरकार के पास आ जाएंगी। प्रस्तावों में एक विधेयक शामिल है जो संसद में साधारण बहुमत से सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को पलटने की अनुमति देगा, जबकि दूसरा संसद को जजों की नियुक्ति में आखिरी अधिकार देगा।न्यायिक सुधार बिल पर सहमति के लिए आखिरी समय तक सरकार और विपक्ष के बीच बातचीत हुई लेकिन विफल रही। विपक्षी नेता याइर लापिड ने सोमवार को कहा कि इस सरकार के साथ ऐसे किसी समझौते पर पहुंचना असंभव है, जिससे लोकतंत्र सुरक्षित रहे। सरकार इस देश को तबाह करना चाहती है, लोकतंत्र, सुरक्षा, एकता और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को खत्म कर देना चाहती है।