अंबिकापुर। विनम्रता के नाम पर अन्याय सहना सहिष्णुता नहीं होती। हमारा जीवन सिर्फ अपने परिवार तक सीमित न होकर सबके लिए हो। लेकिन जो स्वभाव से दुष्ट हैं उनके विरुद्ध अस्त्र उठाना कोई अपराध नहीं है। देश की सेना, पुलिस लोगों की रक्षा के लिए अस्त्र उठाती है। सनातन का सिद्धांत भी यही कहता है। हम अहिंसा के पक्षधर हैं लेकिन हिंसा करने वालों पर अस्त्र उपयोग को गलत नहीं मानते। यह बातें जगत स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने अंबिकापुर प्रवास के दौरान प्रेस वार्ता में कही। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद देश में जाति के नाम विद्वेष तेजी से फैल रहा है। जाति व धर्म को मानना जरूरी है लेकिन इसे विकृत नहीं करना चाहिए। आज सनातन व परंपरा को मानने वालों को कुचलने का प्रयास हो रहा है।जगतगुरू ने देश की राजनीति व राजनीतिज्ञों पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि देश में नेताओं का वैचारिक पतन हो रहा है। आज देश की राजनीति बैसाखी पर चल रही है। उनका इशारा केंद्र सरकार की ओर था जो नीतिश व नायडू की बैसाखी के भरोसे संचालित होना बताया। शंकराचार्य ने कहा कि देश की राजनीति काजल की कोठरी के समान है। मठ मंदिर शासन का तंत्र बन गया है। देश में किसी की भी दल की सत्ता हो मंदिर, देवस्थान इनके दिशा-निर्देश पर चलते हैं। जबकि धर्मनिरपेक्ष सरकार को धार्मिक मामलों में दखल देने का अधिकार नहीं है। धर्म परिवर्तन को लेकर जगतगुरू ने कहा कि हर हिंदू परिवार एक रुपये का योगदान दे जिसका उपयोग सार्थक धार्मिक कार्य में हो। लोग सनातन का गंभीरता से पालन करें। इससे धर्म परिवर्तन पर काफी हद तक अंकुश लगेगा। स्वामी निश्चलानंद ने कहा कि आधुनिक शिक्षा पद्धति नौकर ही बनाएगा। आज शिक्षित युवाओं को योग्यता के आधार पर नौकरी नहीं मिलती। इससे युवाओं में हताशा व निराशा बढ़ रही है। इससे पूर्व तीन दिनों के प्रवास पर पहुंचे निश्चलानंद सरस्वती महाराज का शहर में आत्मीय अभिनंदन किया गया। वे हरिमंगलम में दीक्षा, संगोष्ठी कार्यक्रम में शामिल होंगे। रविवार को नारायणी परिसर में धर्मसभा को संबोधित भी करेंगे। स्वामी निश्चलानंद महाराज ने देश में प्रसाद में अमान्य चीजों की मिलावट पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसा करना जघन्य अपराध है। इसलिए उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मिठाई, प्रसाद में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत में नैतिकता का पतन हुआ है।