बलरामपुर। जिले के रघुनाथनगर वन परिक्षेत्र में जंगली हाथी का उपचार किया गया।यह हाथी सोनहत गांव के समीप लेटा हुआ था। स्वास्थ्यगत समस्याओं के कारण हाथी के उठ नहीं पाने पर तत्काल वन्य जीव विशेषज्ञ डा अजीत पांडेय के साथ रमकोला स्थित हाथी रेस्क्यू सेंटर के कर्मचारियों को उपचार तथा हाथी की देखभाल में लगाया गया था। इसका सकारात्मक परिणाम निकल कर सामने आया। दूसरे दिन हाथी अपने आप उठ खड़ा हुआ। वह बड़े आराम से जंगल की ओर चला गया। इस घटना के बाद भी जंगली हाथी की लगातार निगरानी की जा रही है ताकि अस्वस्थ होने की स्थिति में उसका त्वरित उपचार किया जा सके। तमोर पिंगला अभयारण्य क्षेत्र से निकलकर 18 हाथी पिछले कुछ दिनों से वाड्रफनगर,रघुनाथनगर वन परिक्षेत्र में विचरण कर रहे हैं। हाथियों द्वारा धान की फसल को व्यापक नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इसी दल में शामिल एक हाथी को सोनहत गांव के पास देखा गया था। वह सोए अवस्था मे पड़ा हुआ था। उसके पैर, सूड़ में हलचल तो थी लेकिन वह उठ नहीं पा रहा था। ग्रामीणों ने सबसे पहले इस हाथी को देखा। जंगली हाथी के बीमार होने की सूचना पर डीएफओ बलरामपुर ने वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा की। वन वृत्त सरगुजा में पदस्थ वन्य जीव व पशु चिकित्सक डा अजीत पांडेय के नेतृत्व में विशेष टीम को हाथी के उपचार और देखभाल के लिए भेजा गया था। रमकोला स्थित हाथी रेस्क्यू सेंटर के कर्मचारी, ट्रैकर, हाथी मित्र दल के सदस्य और वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी जंगली हाथी की निगरानी में लगे हुए थे। पहले सुरक्षा के सारे उपाय सुनिश्चित कर लिए गए थे। हाथी उठ नहीं पा रहा था इसलिए कोई दिक्कत नहीं थी। चिकित्सक डा अजीत पांडेय लगातार उसके उपचार में लगे थे। हाथी ऐसे जगह पड़ा हुआ था जहां ड्रीप चढ़ाने की कोई व्यवस्था नहीं बन पा रही थी। ऐसे में वन कर्मचारियों ने ड्रीप को हाथ मे ही पकड़ कर रखा था। स्वास्थ्यगत परेशानियों के लक्षण के आधार पर उसे इंजेक्शन भी लगाए गए। सारी रात उसके स्वास्थ्य पर नजर रखी गई। बुधवार सुबह से जंगली हाथी के शरीर की हलचल बढऩे लगी थी। जब यह आभास हो गया कि जंगली हाथी अब कभी भी खड़ा हो जाएगा तो उसकी निगरानी कर रहे कर्मचारी दूर चले गए। जंगली हाथी अपने से खड़ा हो गया। कुछ देर तक वहीं विचरण करता रहा। बाद में वह उस जंगल की ओर तेजी से बढ़ गया जिधर उसके दल के हाथी थे। जंगली हाथी के स्वस्थ हो जाने पर सभी ने राहत की सांस ली है। जंगली हाथी की बीमारी को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है। संभावना जताई जा रही है कि जंगली हाथी ने ऐसा कोई खाद्य पदार्थ का सेवन कर लिया था जिससे उसका शरीर सुस्त पड़ गया था। अधिकारियों ने बताया कि यदि हाथी बीमार होता तो इतनी जल्दी उठ खड़ा नहीं होता। शरीर में पानी की कमी से भी कई बार अचानक दिक्कत आती है। सरगुजा वन वृत्त के कुदरगढ़ क्षेत्र में एक वर्ष पहले एक साथ एक दर्जन हाथी बेहोशी की अवस्था में मिले थे। कुछ हाथी अपने आप होश में आकर जंगल में चले गए थे जबकि कुछ हाथियों के उपचार में पशु चिकित्सकों की टीम लगाई गई थी। धान की फसल पर कीटनाशकों के छिड़काव से भी समस्या उतपन्न होती है। नजंगली हाथी पूरी तरह से स्वस्थ हो गया है। मंगलवार को जैसे ही जानकारी मिली विभागीय चिकित्सक और ट्रैकर उसकी निगरानी में लग गए थे। उसे इंजेक्शन लगाए गए और बोतल भी चढ़ाया गया। दूसरे दिन ही हाथी अपने आप उठ खड़ा हुआ था।